टावा, जागरण संवाददाता : दुनिया में हर प्राणी अपने मन की करना चाहता है। सुबह से शाम, शाम से रात बस मन भरने में लगा रहता है, लेकिन भर नहीं पाता है और जीवन का अंत हो जाता है। उक्त प्रवचन लालपुरा मंदिर में आयोजित धर्मसभा को सम्बोधित करते हुये आचार्य विनम्र सागर ने दिए।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति नहीं समझ पाता कि मन करने की संसार में कोई भी वस्तु नहीं बनी, लेकिन मन जब भी भरेगा तो ज्ञान से भरेगा। जब तक ज्ञान नहीं है तब तक हमें जादू दिखता है, लेकिन संसार सबसे बड़ा जादू है ज्ञान। ज्ञान से बड़ा चमत्कार संसार है ही नहीं, ज्ञान ही सारे चमत्कारों को खत्म करता है। ज्ञान का अर्थ ही है हमें सही दिखाई देना। जो सही नहीं देख पाता उसे ही शास्त्रों की भाषा में उल्लू कहा है। उल्लू को ही दिन में दिखाई नहीं देता। आज सभी लोग धन को बड़ा मानते हैं, लेकिन ज्ञान पाने के लिये धन खर्च किया जाता है। अर्थात धन से भी ऊंची कीमत ज्ञान की है। ज्ञान जब भी मिलेगा वह गुरू से ही मिलेगा। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ मंत्री महेश चन्द्र जैन ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया एवं मंगलाचरण दीप्ति जैन ने किया।