लखनऊ| यूपी विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान “यूपी को ये साथ पसंद है” का नारा देने वाली दो बड़ी पार्टियां, कांग्रेस और सपा का महागठबंधन हुआ था। उस वक़्त ऐसे दावे किए जा रहे थे कि ये साथ जन्म-जन्मान्तर तक चलने वाला है। लेकिन राजनीति में कब अपने पराए और पराए अपने बन जाते हैं ये समझ पाना नामुमकिन है। वक़्त गुजरने के साथ अब इन दोनों पार्टियों को खुद एक दुसरे का साथ पसंद नहीं आ रहा है। कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी अब अकेले ही चुनाव लड़ेगी। उन्हें किसी के साथ की ज़रूरत नहीं है।
राज बब्बर ने सपा से तोड़ा साथ
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का नारा ‘यूपी को ये साथ पसंद है’ अब गुजरे जमाने की बात हो गयी है। यूपी विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन के पूरी तरह से फेल होने के बाद राज बब्बर ने कहा हमने ये फैसला किया है कि आगामी नगर निगम चुनाव में हम बिना किसी पार्टी से गठबंधन किए ही चुनाव लड़ेंगे और ये बात समाजवादी पार्टी के साथ भी लागू होती है। उन्होंने कहा कि यूपी विधानसभा चुनावों की हार के बाद पार्टी के अधिकारियों ने एक महीने में कई बार बैठकें की। इसके बाद ही हम इस फैसले पर पहुंचे हैं।
बब्बर ने कहा कि “कोई भी फैसला लेने से पहले पार्टी नेतृत्व के लिए ये जरूरी है कि वह गठबंधन पर विचार कर लें। इसके लिए जिला स्तर पर कार्यकर्ताओं, चुनाव विजेताओं और उन लोगों के साथ बैठक करना बाकी है जिन्हें पिछले चुनावों में 1 लाख से अधिक वोट मिले”।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनावों में हार के बाद अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि इस हार से सपा-कांग्रेस गठबंधन को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। हमारा गठबंधन बना रहेगा। लेकिन राज बब्बर के इस बयान के बाद ये साथ बना रहना नामुमकिन है।
आपको बता दें कि सपा-कांग्रेस गठबंधन ने विधानसभा चुनावों में केवल 54 सीट ही जीत पाई थी। जबकि 105 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस ने अकेले सिर्फ 7 सीटें जीती थीं।
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