कर्ज में डूबी अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए हिंदुजा समूह ने सबसे बड़ी बोली लगाई है। सूत्रों के मुताबिक लेंडर्स को हैरान करते हुए हिंदुजा समूह ने रिलायंस कैपिटल की संपत्ति के लिए ₹9000 करोड़ की पेशकश की है। इससे पहले उच्चतम बोली ₹8640 करोड़ की थी, जो टोरेंट समूह ने लगाई थी।
एडवांस कैश कितना: सूत्रों के मुताबिक इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स के नेतृत्व में हिंदुजा समूह ने रिलायंस कैपिटल के लिए ₹8800 करोड़ की एडवांस कैश की पेशकश की है, जो अहमदाबाद स्थित टोरेंट समूह द्वारा पेश किए गए ₹4000 करोड़ से काफी अधिक है।
फंस सकता है पेंच: एक सूत्र ने बताया कि अगर ऋणदाता हिंदुजा समूह की पेशकश पर सहमत होते हैं, तो टोरेंट इसे अदालत में चुनौती दे सकता है। ऐसे में समाधान प्रक्रिया में और देरी हो सकती है। सूत्र के मुताबिक हिंदुजा समूह की बोली समयसीमा से बाहर है। हालांकि, इस पर हिंदुजा और टोरेंट के प्रवक्ताओं ने आधिकारिक तौर पर कोई जवाब नहीं दिया है। आपको बता दें कि ओकट्री और कोस्मिया-पिरामल कंसोर्टियम अंतिम समय में बोली की दौड़ से हट गए थे।
26 दिसंबर को है बैठक: बहरहाल, लेंडर्स की अगली बैठक 26 दिसंबर को होनी है। बैठक में एडवाइजर केपीएमजी व डेलॉइट, उधारदाताओं को मतदान करने और दो योजनाओं में से एक को चुनने के लिए अपना अंतिम विश्लेषण प्रस्तुत करेंगे। बता दें कि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने रिलायंस कैपिटल के समाधान के लिए 31 जनवरी की समय सीमा तय की है।
पिछले साल नियुक्त हुए प्रशासक: रिलायंस कैपिटल भारी कर्ज में है और यह तीसरी बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है, जिसके खिलाफ RBI ने दिवाला और दिवालियापन संहिता या IBC के तहत दिवालिया की कार्यवाही शुरू की है। बीते साल नवंबर में आरबीआई ने कंपनी के बोर्ड को भंग कर नागेश्वर राव वाई को कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया के लिए प्रशासक के रूप में नियुक्त किया।
फरवरी में प्रशासक ने बिक्री के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट आमंत्रित किया था। फरवरी में जिन 55 कंपनियों ने अपनी दिलचस्पी दिखाई थी, उनमें से 14 ने अगस्त के अंत तक गैर-बाध्यकारी बोलियां जमा कीं। केवल चार निवेशकों-हिंदुजा, टोरेंट, कोस्मिया-पिरामल कंसोर्टियम और ओकट्री कैपिटल ने दिसंबर में अंतिम बोलियां जमा कीं।