ब्रिटेन में जो पैसा इकट्ठा किया गया था उसे पाकिस्तान में स्थापित एक अस्पताल और विश्वविद्यालय के नाम पर लिया गया था। लेकिन इस पैसे को बाद में राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया गया था।

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के एक करीबी सहयोगी को मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें एक निजी टेलीविजन चैनल पर इंटरव्यू के दौरान कथित रूप से राजद्रोह संबंधी बयान देने के मामले में गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले चैनल के प्रसारण पर भी रोक लगा दी गई। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता शहबाज गिल ने सोमवार को एआरवाई के एक समाचार कार्यक्रम में भाग लिया था और पूर्व प्रधानमंत्री को सेना के खिलाफ दर्शाने के लिए शहबाज शरीफ सरकार की तीखी आलोचना की थी।
पाकिस्तान के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामक प्राधिकरण ने चैनल पर प्रसारित सामग्री को ‘झूठा, नफरत फैलाने वाला और राजद्रोह’ बताते हुए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया। प्राधिकरण ने कहा कि साक्षात्कार ‘पूरी तरह भ्रामक सूचना के साथ सशस्त्र बलों में विद्रोह को उकसाकर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए स्पष्ट रूप से खतरा पैदा किया गया।’’ खान से करीबी संबंध रखने वाले चैनल का प्रसारण रोक दिया गया। इसके बाद गिल को गिरफ्तार किया गया।
इस्लामाबाद पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि खान के प्रवक्ता गिल को देश की संस्थाओं के खिलाफ बयानबाजी करने तथा लोगों को विद्रोह के लिए उकसाने के मामले में गिरफ्तार किया गया है। इस बीच पीटीआई अध्यक्ष खान ने गिल की गिरफ्तारी को ‘अगवा करने’ की संज्ञा दी है। उन्होंने कहा, ‘‘यह अपहरण है, गिरफ्तारी नहीं। क्या किसी लोकतंत्र में ऐसी शर्मनाक हरकतें हो सकती हैं? राजनीतिक कार्यकर्ताओं को दुश्मन समझा जाता है।’’ पीटीआई के उपाध्यक्ष फवाद चौधरी ने ट्वीट किया, ‘‘शहबाज गिल को बिना नंबर प्लेट वाली कार में आए अज्ञात लोगों ने बानिगाला चौक से पकड़ा।’’
इमरान की पार्टी के खिलाफ ब्रिटेन में जांच शुरू
हाल ही में पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (FIA) ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के पूर्व अध्यक्ष असद कैसर के बाद पीटीआई के प्रतिबंधित फंडिंग मामले की चल रही जांच के संदर्भ में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के 10 अन्य नेताओं को तलब किया है। इस बीच इमरान खान की पार्टी के लिए बुरी खबर यूनाइटेड किंगडम से आई है। यूके में एजेंसियों ने पाकिस्तान के चैरिटी संगठनों द्वारा धन के दुरुपयोग की जांच शुरू कर दी है।
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि ब्रिटेन के चैरिटी आयोग और राष्ट्रीय अपराध एजेंसी को शिकायतें मिलने के बाद ब्रिटिश एजेंसियों ने पाकिस्तानी चैरिटी के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। दोनों संस्थाएं मामले की जांच कर रही हैं। स्थानीय मीडिया के अनुसार, यह आरोप लगाया गया है कि धर्मार्थ संगठनों के नाम पर इकट्ठे किए गए धन को पाकिस्तान भेजा गया है, लेकिन इसका उपयोग राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया गया था।
सूत्रों ने आगे कहा कि ब्रिटेन में जो पैसा इकट्ठा किया गया था उसे पाकिस्तान में स्थापित एक अस्पताल और विश्वविद्यालय के नाम पर लिया गया था। लेकिन इस पैसे को बाद में राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया गया था। साक्ष्य के साथ ब्रिटिश जांच एजेंसियों को शिकायतें दी गई हैं।
आवेदन के साथ विदेशी चंदे के मामले में पीटीआई के खिलाफ पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) का विस्तृत फैसला, फाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट और राजनीतिक दलों के खातों का विवरण भी जांच एजेंसियों को प्रदान किया गया है।
पाकिस्तान की एफआईए ने जांच के दौरान सवालों के जवाब देने के लिए पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के पूर्व नेशनल असेंबली अध्यक्ष असद कैसर, सिंध के पूर्व गवर्नर इमरान इस्माइल, मियां महमूद-उर-रशीद, पूर्व एमपीए सीमा जिया और अन्य सहित 10 नेताओं को तलब किया है।
जांच एजेंसी ने पीटीआई सचिवालय के चार कर्मचारियों की भी पहचान की है, जिनके व्यक्तिगत और सैलरी अकाउंट का इस्तेमाल विदेशी धन प्राप्त करने के लिए किया गया था। एजेंसी ने कहा कि मुहम्मद अरशद, ताहिर इकबाल, मुहम्मद रफीक और नौमान अफजल के बैंक खातों में धन प्राप्त हुआ था। पाकिस्तान के स्थानीय अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बयानों में पीटीआई के कर्मचारियों ने कहा कि वे अपने खातों में मिलने वाले पैसे पीटीआई के वित्त प्रबंधक को देते थे।
उन्होंने कहा कि वे वित्त प्रबंधक को साइन किए हुए ब्लैंक चेक देते थे। रिपोर्ट के अनुसार, एफआईए को जांच के दौरान पता चला कि अन्य अकाउंट के अलावा, कर्मचारियों के सैलरी अकाउंट में भी विदेशी धन प्राप्त हुआ था। एफआईए ने पहले मामले की जांच के लिए छह सदस्यीय टीम का गठन किया था।
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