आज सातवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है. कोरोना संकट के बीच इस बार कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं हो रहा है. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअली ही संबोधित किया. उन्होंने कहा, आज जब पूरा विश्व कोरोना महामारी का मुकाबला कर रहा है, तो योग उम्मीद की एक किरण बना हुआ है. दो वर्ष से दुनिया भर के देशों में और भारत में भले ही बड़ा सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित नहीं हुआ हो लेकिन योग दिवस के प्रति उत्साह कम नहीं हुआ है. अपने करीब 16 मिनट के भाषण में मोदी ने और क्या-क्या कहा, आइए जानते हैं…
कोरोना महामारी में उम्मीद की किरण है योग
आज जब पूरा विश्व कोरोना महामारी का मुकाबला कर रहा है तो योग उम्मीद की एक किरण भी बना हुआ है. दो वर्ष से दुनियाभर के देशों में और भारत में, भले ही बड़ा सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित नहीं हुआ हो, लेकिन योग दिवस के प्रति उत्साह जरा भी कम नहीं हुआ है. कोरोना के बावजूद इस बार की योग दिवस की थीम ‘योगा और वेलनेस’ ने करोड़ों लोगों में योग के प्रति उत्साह को और भी बढ़ाया. मैं आज योग दिवस पर ये कामना करता हूं कि हर देश, हर समाज और हर व्यक्ति स्वस्थ हो. सब एक साथ मिलकर एक-दूसरे की ताकत बनें.
महामारी में लोग योग भूल सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ
हमारे ऋषियों-मुनियों ने योग के लिए ‘समत्वम योग उच्यते’ ये परिभाषा दी है. उन्होंने सुख-दुख में समान रहने, संयम को एक तरह से योग का पैरामीटर बनाया था. आज इस वैश्विक त्रासदी में योग ने इसे साबित करके दिखाया है. कोरोना के इन डेढ़ वर्षों में भारत समेत कितने ही देशों ने बड़े संकट का सामना किया है. दुनिया के अधिकांश देशों के लिए योग दिवस उनका सदियों पुराना पर्व नहीं है. इस मुश्किल समय में, इतनी परेशानी में, लोग इसे आसानी से भूल सकते थे, इसकी उपेक्षा कर सकते थे, लेकिन इसके विपरीत लोगों में योग का उत्साह और बढ़ा है. योग से प्रेम बढ़ा है. पिछले डेढ़ सालों में दुनिया के कोने-कोने तक लाखों नए योग साधक बने हैं. योग का जो पहला पर्याय संयम और अनुशासन को कहा गया है, सब उसे अपने जीवन में उतारने का प्रयास भी कर रहे हैं.
इस कठिन समय में योग आत्मबल का बड़ा माध्यम बना
जब कोरोना के अदृष्य वायरस ने दुनिया में दस्तक दी थी, तब कोई भी देश, साधनों से, सामर्थ्य से और मानसिक अवस्था से, इसके लिए तैयार नहीं था. हम सभी ने देखा है कि ऐसे कठिन समय में, योग आत्मबल का एक बड़ा माध्यम बना. योग ने लोगों में ये भरोसा बढ़ाया कि हम इस बीमारी से लड़ सकते हैं.
डॉक्टरों ने भी योग का ही उपयोग किया
जब फ्रंटलाइन वॉरियर्स से, डॉक्टर्स से बात करता हूं तो मुझे बताते हैं कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उन्होंने योग को ही अपना सुरक्षा कवच बनाया. डॉक्टरों ने योग से खुद को भी मजबूत किया और अपने मरीजों को जल्दी स्वस्थ करने में इसका उपयोग भी किया और आज अस्पतालों से ऐसी कितनी तस्वीरें आती हैं, जहां डॉक्टर, नर्सेस मरीजों को योग सिखा रहे हैं. तो कहीं मरीज अपना अनुभव साझा कर रहे हैं. प्राणायाम, अनुलोम-विलोम जैसी ब्रीदिंग एक्सरसाइज से हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम को कितनी ताकत मिलती है, ये भी दुनिया के विशेषज्ञ खुद बता रहे हैं.
आज योग पर दुनियाभर में रिसर्च हो रही
महान तमिल संत श्री तिरुवल्लुवर जी ने कहा है कि अगर कोई बीमारी है तो उसकी जड़ तक जाओ. बीमारी की वजह क्या है, ये पता करो. फिर उसका इलाज सुनिश्चित करो. योग यही रास्ता दिखाता है. आज मेडिकल साइंस भी उपचार के साथ-साथ हीलिंग पर भी उतना ही बल देता है और योग हीलिंग प्रोसेस में उपकारक है. आज योग के इस पहलू पर दुनियाभर के विशेषज्ञ अनेक प्रकार की रिसर्च भी कर रहे हैं. कोरोनाकाल में योग से हमारे शरीर को होने वाले फायदों पर, हमारी इम्युनिटी पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभावों पर, कई स्टडीज हो रही हैं. आजकल हम देखते हैं कई स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेज की शुरुआत में 10-15 मिनट बच्चों को योग-प्राणायाम कराया जा रहा है. ये कोरोना से मुकाबले के लिए भी बच्चों की शारीरिक रूप में तैयारी कर रहा है.
योग में फिजिकल हेल्थ के साथ मेंटल हेल्थ पर भी जोर
भारत के ऋषियों ने हमें सिखाया है ‘व्यायामात लभते स्वास्थ्य, दीर्घआयुषम परमसुखम, आरोग्यं परमम भाग्यम, स्वास्थम सर्वार्ध साधनम’ यानी ‘योग व्यायाम से हमें अच्छा स्वास्थ्य मिलता है, सामर्थ्य मिलता है और लंबा-सुखी जीवन मिलता है. हमारे लिए स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा भाग्य है और अच्छा स्वास्थ्य ही सभी सफलताओं का माध्यम है.’ भारत के ऋषियों ने भारत ने जब भी स्वास्थ्य की बात की है तो इसका मतलब केवल शारीरिक स्वास्थ्य नहीं रहा है. इसलिए योग में फिजिकल हेल्थ के साथ-साथ मेंटल हेल्थ पर इतना जोर दिया गया है. जब हम प्राणायाम करते हैं. ध्यान करते हैं. दूसरी यौगिक क्रियाएं करते हैं तो हम अपनी अंतर्चेतना को अनुभव करते हैं. योग से हमें ये अनुभव होता है कि हमारी विचार शक्ति, हमारा आंतरिक सामर्थ्य इतना ज्यादा है कि दुनिया की कोई परेशानी, कोई भी निगेटिविटी हमें तोड़ नहीं सकती. योग हमें स्ट्रेस से स्ट्रेंथ की ओर और निगेटिविटी से क्रिएटिविटी का रास्ता दिखाता है. योग हमें अवसाद से उमंद और प्रमाद से प्रसाद तक ले जाता है.
m-yoga ऐप वन वर्ल्ड-वन हेल्थ को सफल बनाएगा
अगर मानवता को कोई खतरा है तो योग अक्सर हमें समग्र स्वास्थ्य का मार्ग देता है. योग हमें खुशहाल जीवन जीने का तरीका भी देता है. मुझे विश्वास है कि योग जनता की स्वास्थ्य देखभाल में निवारक के साथ-साथ प्रोत्साहक की भूमिका भी निभाता रहेगा. जब यूएन ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव रखा था तो उसके पीछे यही भावना थी कि योग विज्ञान पूरे विश्व के लिए हो. इस दिशा में भारत ने यूएन, डब्ल्यूएचओ के साथ मिलकर एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है. विश्व को m-yoga ऐप की शक्ति मिलने जा रही है. इस ऐप में कॉमन योगा प्रोटोकॉल के आधार पर योग प्रशिक्षण के कई वीडियोज दुनिया की अलग-अलग भाषाओं में उपलब्ध होंगे. ये आधुनिक टेक्नोलॉजी और प्राचीन विज्ञान के फ्यूजन का भी एक बेहतरीन उदाहरण है. m-yoga ऐप योग का विस्तार दुनियाभर में करने, और वन वर्ल्ड-वन हेल्थ के प्रयासों को सफल बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा.
योग से सहयोग तक का मंत्र मानवता को सशक्त करेगा
गीता में कहा गया है कि दुखों से वियोग की मुक्ति को ही योग कहते हैं. सबको साथ लेकर चलने वाली मानवता की ये योग यात्रा हमें ऐसे ही अनवरत आगे बढ़ानी है. चाहे कोई भी स्थान हो, कोई भी परिस्थिति हो, कोई भी आयु हो, हर एक के लिए योग के पास कोई न कोई समाधान जरूर है. आज दुनिया में योग के प्रति जिज्ञासा रखने वालों की संख्या बहुत बढ़ रही है. देश-विदेश में योग प्रतिष्ठानों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है. ऐसे में योग का जो मूलभूत सिद्धांत है, उसको कायम रखते हुए, योग जन-जन तक पहुंचे, निरंतर पहुंचे, ये काम जरूरी है. ये काम योग से जुड़े लोगों को, योग के आचार्यों को, योग के प्रचारकों को साथ मिलकर करना चाहिए. हमें खुद भी योग का संकल्प लेना है और अपनों को भी इस संकल्प से जोड़ना है. योग से सहयोग तक का ये मंत्र हमें एक नए भविष्य का मार्ग दिखाएगा. मानवता को सशक्त करेगा.Live TV