जून 2019 में आखिरी बार कलाई के स्पिनर कुलदीप यादव और लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल एक साथ भारतीय टीम के लिए खेले थे, लेकिन इसके बाद से चहल को ज्यादा मौके मिले हैं, जबकि कुलदीप अपनी बारी के लिए तरसे हैं। इंग्लैंड के खिलाफ विश्व कप 2019 का लीग मैच था, जिसमें चहल और कुलदीप साथ खेले। उस मैच में चहल ने बिना विकेट लिए 88 रन लुटाए, जबकि कुलदीप यादव ने एक विकेट लेकर 72 रन खर्च किए थे।
दोनों स्पिनर सफेद गेंद के प्रारूप में काफी समय तक नियमित रहे, लेकिन अब शायद ही उन्हें एक साथ खेलने का मौका मिले। भारत को अच्छी सफलता तब मिली जब वे एक साथ गेंदबाजी करते थे और उनकी प्रसिद्ध साझेदारी को भी एक नाम दिया गया – ‘कुल-चा’। हालांकि, अब दोनों को साथ खेलने का मौका नहीं मिलता है। अगर दोनों में से किसी एक को प्राथमिकता मिलती है तो वे हैं युजवेंद्र चहल। यही कारण है कि कुलदीप अगर टीम में होते हैं तो वे बेंच पर होते हैं।
अब चहल ने खुलासा किया है और बताया है कि कैसे उनको और कुलदीप को साथ मौका मिल सकता था। चहल ने एक स्पोर्ट्स यूट्यूब चैनल से बात करते हुए कहा है कि टीम संयोजन के कारण दोनों को साथ खेलने का मौका नहीं मिलता। प्लेइंग इलेवन में अगर रवींद्र जडेजा होते हैं तो फिर दोनों के साथ खेलने से संयोजन नहीं बन पाता। चहल ने बताया है कि जब हार्दिक पांड्या तेज गेंदबाजी करने वाले ऑलराउंडर टीम में थे तो उनको साथ खेलने का मौका मिलता था।
उन्होंने कहा, “जब कुलदीप यादव और मैं खेलते थे तो हार्दिक पांड्या भी थे और वह गेंदबाजी करते थे। 2018 में हार्दिक पांड्या चोटिल हो गए और रवींद्र जडेजा ने एक ऑलराउंडर के रूप में (सफेद गेंद वाले क्रिकेट में) वापसी की, जो 7 नंबर पर बल्लेबाजी भी कर सकते थे। दुर्भाग्य से, वह एक स्पिनर हैं, अगर वह तेज गेंदबाज होते तो हम एक साथ खेल सकते थे। यह टीम की मांग थी।”
चहल ने आगे कहा, “कुलदीप और मैंने किसी भी सीरीज में 50-50 फीसदी मैच खेले हैं। कभी वो किसी सीरीज के 5 मैचों में से 3 मैच खेलता तो कभी मुझे मौका मिलता। टीम संयोजन की जरूरत है, 11 खिलाड़ी एक टीम बनाते हैं और ‘कुलचा’ नहीं बन रहा था। हार्दिक के होने तक हम वहीं थे, हमें भी मौके दिए गए। टीम की जरूरत 7वें नंबर पर एक ऑलराउंडर को रखने की थी। मैं खुश हूं भले ही मैं नहीं खेल रहा हूं, लेकिन टीम जीत रही है।”