देखें कैसे सृजन के एक कदम से दोगुनी हो गई किसानों की इनकम

बेशक हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक किसानों की इनकम दोगुनी करने की बात कही है. लेकिन सृजन के प्रयासों से ये काम 2006 से हो रहा है. सालभर अपनी भूख मिटाने लायक अन्न भी पैदा न कर पाने वाले किसान अब बाजारों में अपनी फसल को बेच रहे हैं. इतना ही नहीं सृजन बालिका शिक्षा, शराब बंदी जैसे मुद्दों को लेकर भी गांवों में जागरुकता फैला रही है.

2006 से सृजन संस्था उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में लघु और सीमांत किसान परिवार की महिलाओं को साथ लेकर जागरुकता कार्यक्रम चला रही है. संस्था के संस्थापक वेद आर्य बताते हैं कि संस्था ग्राम, ब्लांक और जिलास्तर पर महिलाओं को जोड़कर ग्रुप तैयार करती है.

ये ग्रुप छोटी-छोटी बचत कर आपस में एक-दूसरे की मदद करते हैं. इनके पास जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े होते हैं. जो खेती के लिहाज से उतने उपयोगी नहीं होते हैं. लेकिन लघु और सीमांत किसान जमीन के इस टुकड़े में आज भी पारंपरिक खेती कर रहे हैं, जिसके चलते उनके हालात अच्छे नहीं हैं.

 

संस्था ऐसे ही किसान परिवार की महिलाओं को इकट्ठा कर खेती के लिए जागरुक करती है. खेती के वैज्ञानिक तरीके बताती है. खेती की तकनीक पर जानकारी देने और मदद करने वाली सरकारी संस्थाओं से संपर्क कराते हैं. संसाधनों की मदद के लिए बैंक और एजेंसियों से मदद दिलाते हैं.

ऐसे दोगुनी हो गई किसानों की इनकम

वेद आर्य बताते हैं कि मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां का किसाना मूंग, उड़त और सोयाबीन पर ज्यादा निर्भर रहता है. जिसके चलते छोटी जमीन वाले किसान को ज्यादा फायदा नहीं मिलता है. इसलिए ऐसे किसानों को हमने सब्जी और फल उगाने की सलाह दी. टीकमगढ़ के लघु और सीमांत किसान आज मूंग, उड़त छोड़कर अनार की खेती कर रहे हैं.

आधा हैक्टेयर जमीन वाला किसान साल में तीन बार अनार की फसल ले रहा है. एक फसल कम से कम 50 हजार रुपये देकर जाती है. जबकि मूंग-उड़त की खेती में उन्हें चार से पांच हजार रुपये भी मुश्किल से मिल पाते थे.

राजस्थान में भी किया ये अनोखा प्रयोग

संस्था से ही जुड़े टीम लीडर भारत बताते हैं कि फसल कोई भी उसके लिए राजस्थान में सबसे बड़ी परेशानी पानी की है. हमने यहां के किसानों को ड्रॉप सिंचाई तकनीक के बारे में बताया. इस तकनीक को अपनाने पर जोर दिया. आज राजस्थान के किसान सोयाबीन उगा रहे हैं. भरपूर फसल मिलने के बाद उनकी इनकम भी बढ़ रही है.

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दिल्ली में गूंजे गांव की महिलाओं के अनुभव

शनिवार को एनसीयूआई ऑडिटोरियम में सृजन की ओर से एक कार्यक्रम आगाज का आयोजन किया गया था. कार्यक्रम में मध्य प्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की महिलाएं भी शामिल हुईं थी. कुछ साल पहले तक कभी गांव के बाहर भी कदम न रखने वाली महिलाओं ने कार्यक्रम में अपने अनुभव साझा किए. भारत बताते हैं कि इस वक्त चारों राज्य से करीब 40 हजार महिलाएं संस्था से जुड़ी हुई हैं. कार्यक्रम के दौरान रूचिका गंभीर और टीम लीडर राकेश भी मौजूद थे.

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