देश में रोजगार की हालत: कोरोना संकट के ख़राब समय से निकलना शुरू कर चुका है देश

पिछले साल कोरोना संकट की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई थी. लेकिन क्या अब अर्थव्यवस्था में सुधार आ रहा है?

कोरोना महामारी से देश की अर्थव्यवस्था को कितनी चोट पहुंची है, इसका सबूत अलग-अलग सरकारी और गैर-सरकारी आंकड़ों में सामने आ चुका है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस वित्तीय वर्ष (2020-21) की दूसरी तिमाही में आर्थिक विकास की दर में करीब 24 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी.

ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की अवधि अप्रैल-जून 2020 के दौरान देश में शहरी बेरोजगारी दर 20.9 फीसदी थी.

Periodic Labour Survey (PLFS) ने पिछले साल जून तिमाही में बेरोजगारी दर जनवरी-मार्च तिमाही की तुलना में 9.1 फीसदी ज्यादा दर्शायी थी. जबकि 2019 में अप्रैल-जून की अवधि के दौरान बेरोजगारी दर 8.9 फीसदी दर्ज की गई थी. पिछले साल सरकार ने कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सबसे सख्त लॉकडाउन में से एक लगाया था. जिस कारण देश की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो गई थी और कई क्षेत्रों के लोगों की नौकरी चली गई थी.

भारत में ग्रोथ का अनुमान
हालांकि अब देश में धीरे धीरे ही सही अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है. ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अगले वित्त वर्ष के लिए भारत की ग्रोथ का अनुमान संशोधित किया है जिसके मुताबिक, अर्थवयवस्था में सुधार बताया जा रहा है. बता दें कि मूडीज ने अगले वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान 10.8 फीसदी से बढ़ाकर 13.7 फीसदी कर दिया है.

मूडीज ने इससे पहले अनुमान लगाया था कि 2021-22 में इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ 10.8 फीसदी रह सकती है. लेकिन अब बाजार में बढ़ी चहल पहल और कोरोना वैक्सीनेशन कार्यक्रम शुरू हो जाने के बाद मूडीज को अपना ये अनुमान भी संशोधित करना पड़ा है.

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