केंद्र सरकार किसानों की मांगों को मानने में जितनी ज्यादा देर लगाएगी, उतना ही उसे नुकसान झेलना होगा : योगेंद्र यादव

स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि असली राष्ट्रवाद टीवी पर बैठकर पाकिस्तान को गाली देना नहीं, बल्कि एक-दूसरे के सुख दुख में खड़े होना है। जिसका परिचय आज दक्षिण भारत से मोर्चे पर आए साथियों ने दिया है। जिन्होंने किसानों के दर्द को समझा है और उसके साथ खड़े होने के लिए हमारे बीच आए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की मांगों को मानने में जितनी ज्यादा देर लगाएगी, उतना ही उसे नुकसान झेलना होगा।

भाकियू हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि किसान गर्मी की पूरी तैयारी कर रहे हैं, जिससे आंदोलन में किसी तरह की परेशानी नहीं आए। इसके लिए ही 100 कूलर व 100 पंखे लाए जाएंगे। फसल का समय आने को लेकर उन्होंने कहा कि गांवों से किसानों को क्रम में बुलाया जाएगा। किसी गांव से पहले 20 किसान आएंगे और उसके एक सप्ताह बाद अगले बीस किसान अपने खेत का काम निपटाकर आ जाएंगे। इसके अलावा किसी का ट्रैक्टर बॉर्डर पर होगा तो उसके खेत की जुताई साथी किसान अपने ट्रैक्टर से करेंगे। उन्होंने कहा कि हम अनुसूचित जाति के लोगों को साथ जोड़ रहे हैं और उनके साथ गांवों में मीटिंग कर रहे हैं। 27 फरवरी को एक शोभायात्रा निकालेंगे। अनुसूचित जाति के लोगों के घर छोटूराम की फोटो लगाई जानी चाहिए और आंबेडकर की फोटो सवर्ण जाति वाले लगाएं।

तेजी से बढ़ रही गर्मी का असर किसान आंदोलन पर भी दिख रहा है। किसानों के पड़ाव में कई स्थानों पर जहां पानी के लिए आरओ सिस्टम लगाए जा रहे हैं तो वहीं बहादुरगढ़ के नए बस अड्डे के नजदीक प्लास्टिक के लगाए गए छोटे-छोटे टेंट की जगह कपड़ों के बड़े टेंट लगाए जा रहे हैं। बहादुरगढ़ बाईपास पर नए बस स्टैंड के सामने बनाए गए टेंट सिटी में भी बढ़ते तापमान की वजह से बदलाव देखा जा रहा है। टेंट सिटी में अब प्लास्टिक के छोटे टेंट की जगह पर कपड़े के बड़े-बड़े टेंट लगा दिए गए हैं। ताकि किसानों को गर्मी से परेशानी न हो। इसके अलावा गर्मी के लिए आरओ सिस्टम भी लगाया गया है।

बहादुरगढ़ में हेमकुंट फाउंडेशन की ओर से टेंट सिटी बसाई गई है। करीब डेढ़ एकड़ लंबाई के इस रास्ते पर बनाई गई टेंट सिटी में रात के समय किसानों को ठहराया जाता है। यहां पर आधार कार्ड देखकर किसानों को प्रवेश दिया जाता है। फाउंडेशन की ओर से आंदोलन के शुरू से ही यहां पर टेंट सिटी बना दी गई थी। यहां पर छोटे-छोटे कैंपिंग टेंट लगाकर किसानों को ठहराया गया था। साथ ही ठंड से बचाने के उपाय किए गए थे।

अब हेमकुंट फाउंडेशन की ओर से किसानों को गर्मी से बचाने के लिए बड़े-बड़े कपड़े के टेंट लगाए गए हैं, ताकि किसानों को ज्यादा गर्मी न लगे। यहां पर एक आरओ सिस्टम भी लगाया गया है, जिससे किसानों को पानी मिलता है। हेमकुंट फाउंडेशन के सदस्यों ने बताया कि और अधिक आरओ की जरूरत पड़ी तो वह भी लगाए जाएंगे।

दिल्ली-जयपुर हाईवे-48 के खेड़ा बॉर्डर पर किसान आंदोलन में संख्या बढ़ाने को लेकर बावल चौरासी खाप गांव-गांव जाकर कृषि कानूनों के नुकसान से किसानों को अवगत करा रही है। पांच-पांच लोगों का दल बनाकर गांव-गांव भेजा जा रहा है, ताकि आंदोलन को मजबूत किया जा सके। वहीं दक्षिण के कई राज्यों से किसानों के जत्थों ने धरने पर पहुंचकर समर्थन दिया।

 

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