दुनिया भर के सैलानियों को रिझाने के लिए वाराणसी में गंगा के बीच आइलैंड विकसित किया जाएगा। अस्सी घाट के दूसरी तरफ रामनगर में रेती पर बीच जैसा माहौल बनाया जाएगा और टापू को विकसित कर सैलानियों के लिए तैयार किया जाएगा। पर्यटन विभाग 850 मीटर लंबे आइलैंड से पैराग्लाइडिंग, स्कूबा डाइव सहित अन्य एक्टिविटीज से संबंधित सुविधाएं देगा। गंगा में ड्रेजिंग का काम पूरा होने के बाद आइलैंड पर काम शुरू कर दिया जाएगा।
गंगा के प्रवाह को अविरल बनाने के लिए शासन की ओर से ड्रेजिंग की अनुमति और बजट मिलने के बाद रामनगर के सामने टापू विकसित किया जाएगा। करीब 1200 मीटर हिस्से में रेत के टीले को काटकर 45 मीटर चौड़ी कैनाल विकसित की जाएगी। इससे गंगा के प्रवाह का दबाव घाटों से रेती की ओर शिफ्ट होगा। ड्रेजिंग के बाद बनने वाले टापू को पर्यटकों के लिहाज से विकसित करने की तैयारी है। पर्यटन विभाग सीएनजी स्टीमर के जरिए पैराग्लाइडिंग, 45 मीटर चौड़े कैनाल में स्कूबा डाइव सहित वाटर स्पोर्ट्स की अन्य सुविधाएं विकसित करेगा।
दरअसल, रामनगर इलाके में रेती जमा होने से गंगा का प्रवाह बदल गया है और घाटों पर दबाव बढ़ा है। सिंचाई विभाग के सर्वे के बाद शासन ने ड्रेजिंग की अनुमति दी है। इसमें करीब 1200 मीटर इलाके के रेत के टीले को काटकर गंगा का प्रवाह सामान्य करने के लिए नहर विकसित होगी।
पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पर्यटन विभाग गंगा पार इलाके को समुद्र बीच की तरह विकसित करेगा। यहां पर रिलैक्सिंग चेयर, ऊंट, हाथी और घोड़े की सवारी के साथ छोटे मेले का स्वरूप दिया जाएगा। इस कार्ययोजना को प्रभावी बनाने के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप का सहारा भी लिया जा सकता है। गंगा पार क्रियाकलाप बढ़ने से नाविकों की आय बढ़ने की भी उम्मीद है।
सिंचाई विभाग की रिपोर्ट के बाद गंगा में ड्रेजिंग के टेंडर के लिए शासन से अनुमति मिल गई है। 45 मीटर चौड़ी कैनाल बनने के बाद गंगा में आइलैंड बन जाएगा। पर्यटन विभाग इसे पर्यटकों के लिए विकसित करेगा। गंगा पार रेती पर एक्टिविटीज से घाटों पर दबाव कम होगा