वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौर में बच्चों का इस्तेमाल गलत तरीके से युद्ध में इस्तेमाल करने के लिए किया जा सकता है। इस बारे में संयुक्त राष्ट्र ने गहरी चिंता व्यक्त की है। अधिकारियों ने इस बारे में अपनी चिंता व्यक्त करते हुआ कि कोरोना वारयस के प्रभाव के कारण बच्चों का इस्तेमाल सशस्त्र गुट और सशस्त्र बल अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इन अधिकारियों का मानना है कि ऐसी संकट की घड़ी में इसका जोखिम बढ़ गया है। योरोपीय संघ के प्रतिनिधि जोसेप बॉरेल और वर्जीनिया गाम्बा ने कहा कि ऐसे शसस्त्र बलों के चंगुल में फंसने वाले बच्चों को यदि छुड़वा भी लिया जाता है तो उनके लिए चलाए गई विभिन्न योजनाओं की सुविधा बेहद कम को ही मिल पाती है।
संगठन की तरफ से ये भी कहा गया है कि दुनिया के ऐसे इलाकों में जहां पर विभिन्न गुटों के बीच लगातार संघर्ष चल रहा है वहां पर बाल सैनिकों को भर्ती करने काम भी लगातार किया जा रहा है। ऐसे सशस्त्र गुट इन बच्चों को इनके परिवारों से अलग करते हैं, फिर इनके साथ वो बेहद अमानवीय तरह से पेश आते हैं। ऐसे में ये गुट इन बच्चों की गरीमा को छीन रहे हैं और उनके भविष्य को खराब करने में लगे हैं। लगातार चलने वाले युद्ध की वजह से इन जगहों पर ऐसे बच्चों के लिए शिक्षा के अवसर बेहद कम या ना के ही बराबर हैं। कम उम्र के बच्चे जहां इनका आसान शिकार होते हैं वहीं इसकी वजह से इनको सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ता है। ये बच्चे कोरोना काल में इसकी बड़ी कीमत चुकाने को मजबूर हो रहे हैं। संगठन के अधिकारियों को कहना है कि पूरी दुनिया को इन बच्चों के अधिकारों और बेहतर भविष्य के लिए मिलकर काम करना होगा। इन सभी को सुरक्षा और संरक्षा दिए जाने की सख्त जरूरत है।
इन वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि पूरी दुनिया में बच्चों को लगातार चलने वाली लड़ाई की बदौलत कई तरह की तकलीफों से दो-चार होना पड़ा है। इनका कहना है कि इन बच्चों को युद्ध के ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। असुरक्षा की स्थिति, लाखों बच्चों को अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य से वंचित करती है। कोरोना काल में इन लड़ाइयों में स्कूल और अस्पतालों को भी निशाना बनाया गया है। काफी संख्या में इन बच्चों कैद करके भी रखा जाता है। गांबा ओर बॉरेल के मुताबिक संगठन पूरी तरह से बच्चों की, शिक्षा और उनकी आवश्यकताओं को पूरी करने के लिये गंभीर है क्योंकि बच्चों मुस्तैद हैं क्योंकि गुटों के बीच होने वाले संघर्षों और लड़ाइयों में ऐसे बच्चों का इस्तेमाल रोकने के लिए ये बेहद जरूरी है। इनका कहना है कि किसी को भी ये अधिकार हासिल नहीं है कि वो बच्चों से उनका बचपन छीन ले और उन्हें संघर्षों का हिस्सा बना दे।
गौरतलब है कि दो दिन पहले ही ‘बाल सैनिकों के विरुद्ध अन्तरराष्ट्रीय दिवस’ मनाया गया था जिसको ‘लाल हाथ दिवस’ के नाम से भी जाना जाता है। ये दिन उन बच्चों के लिए है जो मजबूरन किसी न किसी संघर्ष का हिस्सा बने हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, पूरी दुनिया में 20 से भी ज्यादा देशों में आपसी संघर्ष जारी है। इसमें बाल सैनिक के रूप में लड़के और लड़कियों की विभिन्न उपयोगों के लिए भर्ती की जाती है।