केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर पंजाब-हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार किसानों को समझाने में लगी है कि ये कृषि कानून उसके हित में हैं. लेकिन अब शायद हरियाणा में बीजेपी के अंदर से ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद चौधरी बीरेंद्र सिंह के हाल के एक बयान ने राजनीतिक हलकों में यह कहकर हलचल पैदा कर दी थी कि उनके लिए पार्टी और राजनीति से बढ़कर किसानों का हित है. उन्होंने कहा कि मैं किसानों की अगुवाई करने के लिए तैयार था. माना जा रहा था कि पूर्व केंद्रीय मंत्री किसानों के आंदोलन में शामिल हो सकते हैं.
बीजेपी नेता बीरेंद्र सिंह ने हाल ही में कैथल में कहा था, “अगर वे (किसान) मुझसे संपर्क करते, तो मैं किसानों की अगुवाई करने के लिए तैयार था. कृषि कानूनों के बारे में किसानों की शंकाओं को दूर करने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि किसानों को लगता है कि कानून उनके लिए हानिकारक हैं.” बता दें कि बीरेंद्र सिंह के शुक्रवार को हरियाणा के सांपला में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आयोजित होने वाले एक दिन के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की उम्मीद है.
इन बातों को और बल उस वक्त मिला, जब गुरुवार को बीरेंद्र सिंह ने सर छोटू राम विचार मंच के सदस्यों को स्पष्ट कर दिया कि भविष्य में वह केवल किसान राजनीति करेंगे. मालूम हो कि बीरेंद्र दशकों से सर छोटू राम विचार मंच से जुड़े हुए हैं. हालांकि, चौधरी बीरेंद्र ने पुष्टि नहीं की है कि वह इस विरोध में शामिल होंगे या नहीं, लेकिन उनके समर्थकों का कहना है कि वह विरोध में शामिल हो सकते हैं.
फिलहाल, बीरेंद्र सिंह आज (18 दिसंबर) शाम 4 बजे छोटूराम चौक स्थित नीली कोठी में प्रेस कांफ्रेंस करेंगे. इस दौरान वह कई महत्वपूर्ण विषयों पर अपनी बात रखेंगे.
सर छोटू राम विचार मंच, चौधरी बीरेंद्र सिंह द्वारा प्रतिनिधित्व एक गैर सरकारी संगठन है, जो शुक्रवार को हरियाणा में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगा.
गौरतलब है कि हरियाणा के बीजेपी नेताओं ने उस समय किसान यूनियनों की आलोचना की थी, जब वे नई दिल्ली की ओर मार्च कर रहे थे. लेकिन अब जब उसी पार्टी के नेता किसान आंदोलन में शामिल हुए तो उसे बड़ा झटका लग सकता है. आपको बता दें कि हरियाणा के रहने वाले चौधरी बीरेंद्र सिंह मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं.