नई दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का भूमि सर्वेक्षण नेशनल हाईस्पीड रेल कॉर्पोरेशन द्वारा आज से शुरू होगा। इसके लिए एरियल लिडार सर्वे का उपयोग किया जा रहा है। नई दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के सर्वेक्षण में कई शहरों को जोड़ा गया है। नोएडा से शुरू होकर मथुरा, आगरा, इटावा, लखनऊ, रायबरेली, अयोध्या, प्रयागराज, भदोही, वाराणसी में यह कॉरिडोर खत्म होगा।
हाई स्पीड कॉरिडोर में अब मथुरा, अयोध्या, प्रयागराज और काशी के जुड़ जाने से कार्य की प्रगति और तेज हो गई है। यही कारण है कि रेल मंत्रालय ने नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को लिडार तकनीक से सर्वेक्षण को मंजूरी दे दी।
वाराणसी-नई दिल्ली (865 किमी) रूट पर प्रस्तावित बुलेट ट्रेन वाराणसी से नई दिल्ली का सफर महज ढाई घंटे में तय होगा। 300 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बुलेट ट्रेन चलेगी।
वहीं कॉरिडोर को लेकर भूमि अधिग्रहण की तैयारियां भी जोर पकड़ने लगी है। वाराणसी से नई दिल्ली के बीच बुलेट ट्रेन चलने से व्यापारिक और पर्यटन की दृष्टि से काफी बेहतर हो जाएगा। यात्रियों को सहूलियत मिलने के साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
160 किमी से चलने वाली सेमी हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेन वाराणसी से नई दिल्ली के बीच संचालित है। रेल अधिकारियों के अनुसार वाराणसी-नई दिल्ली के बीच बुलेट ट्रेन का संचालन कई मायनों में बेहतर साबित होगा। नई-दिल्ली वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट 29 अक्टूबर 2020 को रेल मंत्रालय को सौंप दी गई थी। जिसके बाद तेजी दिखाते हुए अब लिडार तकनीक का सहारा लिया जा रहा है।
प्रस्तावित वाराणसी-नई दिल्ली कॉरिडोर में बहुत चुनौतियां हैं। इसमें घनी आबादी वाले शहरी और ग्रामीण क्षेत्र, राजमार्ग, सड़कें, नदियां, खेत आदि शामिल हैं जो इस गतिविधि को और अधिक चुनौतीपूर्ण बनाते हैं। इस वजह से एनएचएसआरसीएल ने लिडार तकनीक अपनाने का फैसला लिया है और हेलीकॉप्टर व उपकरणों का निरीक्षण चल रहा है।
भारतीय रेलवे में इस तरह का पहला सर्वेक्षण मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए किया गया था। ऐसा दूसरी बार होगा जब बनारस-नई दिल्ली हाई स्पीड रेल कॉरिडोर में लिडार तकनीक का सहारा लिया जाएगा।