राहु ग्रह न होकर ग्रह की छाया है। ग्रहों की छाया का हमारी जिंदगी में बहुत अधिक प्रभाव होता है। लाल किताब में कुंडली में राहु के दोषपूर्ण अथवा खराब होने के हालात के बारे में विस्तार से बताया गया है। राहु के नक्षत्र किसी भी शख्स की जिंदगी पर अच्छा-बुरा प्रभाव डालते हैं।

राहु का पहला नक्षत्र- आर्द्रा
वही यह नक्षत्र पूरी प्रकार से मिथुन राशि के अंतर्गत आता है। इसका प्रतीक मानव का मस्तिष्क है। ये मुख्य तौर पर विचार तथा बुद्धि से सम्बन्ध रखता है। इनको मृत्यु, दुःख दर्द तथा बहुत संघर्ष झेलना पड़ता है। पर अपनी कोशिश तथा तपस्या से ये जीवन में बहुत सफल हो जाते हैं। कभी कभी इस नक्षत्र के व्यक्ति अपनी शक्तियों से दूसरों को परेशान करते हैं। ये बेहद अधिक हिंसक तथा विध्वंसक भी हो जाते हैं। इनको हमेशा एक उचित मार्गदर्शक की जरुरत होती है
राहु का दूसरा नक्षत्र- स्वाति
यह नक्षत्र पूरी प्रकार से तुला राशि के अंतर्गत आता है। इस नक्षत्र के पास पूरी प्रकार से वायु की शक्ति होती है। इस नक्षत्र के व्यक्तियों के पास दूसरों को प्रभावित करने की पावर होती है। ये व्यक्ति अच्छे वक्ता तथा अच्छे प्रस्तोता होते हैं। इनके भीतर सीखने की तथा अंतर्ज्ञान की अद्भुत क्षमता होती है। ये व्यक्ति दूसरों की मदद करते हैं तथा आत्म नियंत्रण जानते हैं। कभी कभी ये व्यक्ति बड़े मतलबी तथा धन लोलुप हो जाते हैं। इनको जीवन में अपनी शक्तियों का उचित इस्तेमाल सीखना चाहिए।
राहु का तीसरा नक्षत्र- शतभिषा
यह नक्षत्र पूरी प्रकार से कुम्भ राशि के अंतर्गत आता है। इसका नक्षत्र का मतलब है- सौ वैद्य या सौ सितारे। इस नक्षत्र के लोगों के पास जन्मजात रोगनिवारक क्षमता होती है। ये लोग ज्ञानी, बुद्धिमान, दार्शनिक तथा अंतर्ज्ञान की शक्ति से सम्पन्न होते हैं। ये जीवन की समस्याओं से, दैवीय कृपा की वजह से निजात पा जाते हैं। ये स्वभावतः रहस्यमयी तथा एकांत प्रेमी होते हैं। कभी कभी ये अवसाद तथा कल्पना के शिकार हो जाते हैं। ये क्षय रोग तथा स्नायु बीमारियों के जल्दी शिकार हो जाते हैं। जिंदगी में सफलता के लिए इनको गहरा ध्यान अवश्य करना चाहिए।
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