कोरोना महामारी के बीच लोग इम्यूनिटी (प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ाने के लिए दवा से लेकर तमाम तरह के काढ़े का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। अब सामने आया है कि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाइयों और काढ़े के अंधाधुंध प्रयोग से न्यूरोलॉजिकल खतरा हो सकता है। इससे शरीर की नसों पर असर पड़ सकता है। हाथों-पैरों में झनझनाहट के साथ चलने में दिक्कत हो सकती है।

विशेषज्ञ बिना डॉक्टरों की सलाह के इम्यूनिटी के लिए दवा का सेवन नहीं करने की सलाह दे रहे हैं। बता दें कि कोरोना महामारी के बीच इम्यूनिटी बढ़ाने के नाम पर कई तरह की दवाएं बाजार में आ चुकी हैं।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि जितनी भी दवाएं बाजार में इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में बिक रही हैं, उनके बारे में ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि वह शरीर में किस स्तर तक इम्यूनिटी बढ़ाएंगी। ऐसे में यदि शरीर में ज्यादा इम्युनिटी हो जाती है, तो इसके कई तरह के दुष्प्रभाव दिखने शुरू हो जाते हैं।
डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि अधिक इम्यूनिटी होने पर न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी सामने आ रही हैं। देश में इस तरह के दो दर्जन से अधिक केस सामने आ चुके हैं। अगर कोरोना संक्रमित मरीज के शरीर में अधिक इम्यूनिटी मिलती है, तो संक्रमण से मुक्त तो हो जाएगा, लेकिन उसके शरीर के दूसरे अंगों पर इसका असर दिख सकता है। नसों पर सबसे अधिक प्रभाव दिखता है। हाथों-पैरों में चुभन के साथ-साथ चलने फिरने में दिक्कत हो सकती है।
डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि लोगों को हरी-सब्जी और फल ज्यादा खाने चाहिए। यह सेहत के लिए हानिकारक नहीं होते हैं। शरीर में इम्यूनिटी कितनी होनी चाहिए इसे मापने का कोई पैमाना नहीं है, लेकिन इतना जरूर है कि जांच के जरिए पता किया जा सकता है कि शरीर में इम्यूनिटी बन रही है कि नहीं। इसकी जांच निजी लैब में होनी शुरू हो गई है। कोरोना महामारी के बीच लोग इम्यूनिटी की जांच करा भी रहे हैं।
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