सूर्य देव की आराधना से यश-कीर्ति, मान-सम्मान, कार्यों में सफलता प्राप्त होती है : धर्म

ज्योतिष में सूर्य का बहुत महत्व माना जाता है। नवग्रहों में सर्वप्रथम सूर्य ग्रह माना गया है। सूर्य संपूर्ण सृष्टि में सूर्य के कारण ही गति है। सूर्य के प्रकाश से ही जीव-जन्तुओं प्राणियों पेड़-पौधों को जीवन प्राप्त होता है।

सूर्य से ही प्रकृति में संतुलन है। सूर्य का धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिष महत्व होने के साथ ही वैज्ञानिक महत्व भी है। धर्म और ज्योतषि के अनुसार रविवार का दिन सूर्य को समर्पित किया जाता है। सूर्य देव की आराधना से यश-कीर्ति, मान-सम्मान और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। सूर्य को पिता के कर्म भाव का स्वामी माना जाता है।

सूर्य को मजबूत बनाए रखने के लिए पिता का सम्मान करना बहुत आवश्य होता है। ज्योतिष के अनुसार जहां कुंडली में मजबूत सूर्य आपको हर ओर से सफलता दिला सकता है तो वहीं कुंडली में अशुभ सूर्य के कारण पिता-पुत्रों के संबंधों में दरार आ सकती है।

सूर्य से पीड़ित जातक को रक्तचाप, अस्थिरोग, नाखून, हृदय से संबंधित रोग हो सकते हैं। सूर्य को कमजोर होने पर आपके मान-सम्मान को ठेस लग सकती है इसलिए सूर्य का बलवान होना आवश्यक होता है। आप कुछ मंत्रों के जाप से सूर्य को मजबूत बना सकते हैं। जिससे आपको हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी।

इस मंत्र का जाप आप रविवार के दिन सूर्य के समक्ष करें। इससे आपका सूर्य मजबूत होता है। भगवान सूर्य नारायण प्रसन्न होते हैं। सूर्य मंत्र का जाप आप मन ही मन कार्य आदि करते हुए भी कर सकते हैं। 

ऊँ सूर्याय नम:

ऊँ आकृष्णेनेति मंत्रस्य हिरण्यस्तूपऋषि, त्रिष्टुप छनद:
सविता देवता, श्री सूर्य प्रीत्यर्थ जपे विनियोग: ।

मंत्र : ऊँ आ कृष्णेन राजसा वत्र्तमानों निवेशयन्नमृतं मत्र्य च ।
हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन् ।

1.ऊँ आदित्याय विदमहे प्रभाकराय धीमहितन्न: सूर्य प्रचोदयात् ।
 2.ऊँ सप्ततुरंगाय विद्महे सहस्त्रकिरणाय धीमहि तन्नो रवि: प्रचोदयात् । 

अर्थ मंत्र ‘ऊँ एहि सूर्य ! सहस्त्रांशो तेजोराशि जगत्पते । 
करूणाकर में देव गृहाणाध्र्य नमोस्तु ते ।

सूर्य गायत्री मंत्र के जाप करने से आत्मशुद्धि, आत्म-सम्मान, मन की शांति मिलती है । व्यक्ति पर आने वाले संकट टल जाते हैं। 

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