रामनगरी समेत पूरे विश्व में शांति-सौहार्द की सबसे बड़ी मिसाल राममंदिर फैसले की पहली वर्षगांठ 9 नवंबर को है। मगर इसका जश्न दीपोत्सव में 13 नवंबर को दिखेगा। कई खास मेहमान यहां की तरक्की और वैश्विक क्षितिज पर त्रेतायुग जैसी अयोध्या का खाका खिंचते नजर आएंगे। हालांकि कोरोना की वजह से आम अयोध्यावासी कार्यक्रमों में भागीदार नहीं हो सकेंगे।
श्रीराम जन्मभूमि में पहली बार संध्या आरती करके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दीपोत्सव का आगाज करेंगे। जबकि खास मेहमान बनकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आने की सुगबुगाहट है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी रहेंगी। केंद्र व राज्य सरकार के कई मंत्रियों से मंच सजा-धजा रहेगा।
पीएम मोदी के दौरे के दौरान अयोध्या न आ सके तमाम राममंदिर आंदोलन दिग्गज भी मंच पर दिख सकते हैं। पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी जैसी तमाम हस्तियों के आने को लेकर भी चर्चाएं तेज हो गईं हैं। इन सभी लोगों ने बाबरी ध्वंस मामले में बरी होने के बाद रामलला के दर्शन की इच्छा जताई थी।
सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ अयोध्या दर्शन की विराट योजना दिव्य दीपोत्सव में साकार हो सकती है। सूत्रों का कहना है कि कोविड प्रोटोकाल के कारण आम लोगों की भीड़ नहीं होगी। ऐसे में खास मेहमानों के कार्यक्रम के लिए यह समय मुफीद रहेगा। प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि अतिथियों को लेकर जल्द ही शासन से कार्यक्रम जारी होगा।
यूं तो दिव्य दीपोत्सव हर साल अयोध्या के विकास के लिए खास सौगात लेकर आता है, मगर इस बार राममंदिर फैसले के एक साल पूरा होने पर इसका आकार वृहद होने की संभावना है। मंडलायुक्त एमपी अग्रवाल कहते हैं कि सभी विभागों से पूर्ण कार्यों एवं शिलान्यास कार्यों की सूची को शीघ्र सीडीओ को सौंपने के लिए कहा गया है। आम लोगों को कार्यक्रम में आने पर रोक रहेगी। इस कार्यक्रम का सजीव प्रसारण कराया जाएगा।