बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एक गैर सरकारी संगठन(एनजीओ) ने राजनीतिक दलों के लिए कोष जुटाने वाली 2018 की चुनावी बांड योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर उच्चतम न्यायालय से जल्द सुनवाई करने का अनुरोध किया है।
जल्द सुनवाई की वजह बताते हुए इस संगठन ने कहा है कि राजनीतिक दलों द्वारा भ्रष्टाचार और गैरकानूनी विदेशी चंदे के माध्यम से लोकतंत्र को कुचलने की कोशिश की जाती है इसलिए जल्द से जल्द इसपर सुनवाई होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि दो जनवरी, 2018 की अधिसूचना में चुनावी बांड की बिक्री के महीने हर साल जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर हैं, परंतु अप्रैल और जुलाई में इनकी बिक्री नहीं की गई थी जबकि बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, अक्टूबर में, इसे फिर से खोल दिया गया है।
इस याचिका में कहा गया है कि पिछली सुनवाई की तारीख से नौ महीने बीत चुके हैं और बिहार में हो रहे विधानसभा चुनाव के दौरान नया घटनाक्रम हो रहा है। ऐसी स्थिति में इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है।
गैर सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन ऑर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ ने इससे पहले इस साल जनवरी में दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान इस याचिका पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए आवेदन दाखिल किया था। शीर्ष अदालत ने इस योजना पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने इस मामले में अंतरिम राहत के लिए दाखिल आवेदन पर केन्द्र और निर्वाचन आयोग से दो सप्ताह के भीतर 20 जनवरी तक जवाब मांगा था, लेकिन इसके बाद यह याचिका अभी तक सूचीबद्ध ही नहीं हुई।
बता दें कि कोविड-19 महामारी के बीच ही बिहार विधानसभा के लिए 28 अक्टूबर से सात नवंबर के बीच तीन चरणों में चुनाव हो रहा है। इस चुनाव में मतगणना 10 नवंबर को होगी।