नवरात्रों में इस बार पंडालों में सांस्कृतिक आयोजन नहीं किया गया। वैसे तो दुर्गा पूजा का आयोजन सेक्टर-26 कालीबाड़ी मंदिर में भव्य तरीके से मनाया जाता था, लेकिन इस बार यहां भी सांस्कृतिक आयोजन नहीं किए गए। इसको देखते हुए कई महिला संगठनों ने मिलकर धुनुची नृत्य का आयोजन अपने घरों में ही किया।

सेक्टर-50, सेक्टर-45 और सेक्टर- 35 में यह आयोजन किए गए। सेक्टर- 50 निवासी अलकनंदा ने बताया कि दुर्गा पूजा में इस नृत्य की परंपरा काफी प्राचीन है। इसका काफी महत्व भी है। माना जाता है कि धुनुची नृत्य वास्तव में शक्ति का परिचायक है और इसका संबंध महिषासुर वध से जुड़ा है।
पुराणों में जिक्र है कि अति बलशाली महिषासुर का वध करने के लिए देवताओं ने मां की स्तुति की थी और मां ने असुर के वध से पहले अपनी ऊर्जा और शक्ति को बढ़ाने के लिए धुनुची नृत्य किया था। यह परंपरा आज भी कायम है। आज भी सप्तमी से ये नाच शुरू हो जाता है और अष्टमी व नवमी को भी किया जाता है।
धुनुची से ही मां दुर्गा की आरती भी उतारी जाती है। क्योंकि इस बार पंडालों में नहीं हो रहे हैं इसलिए महिलाएं मिलकर घरों में ही ऐसे आयोजन कर रही हैं।
अलखनंदा, स्वगता दत्ता, रीमा जोमन, कविता खंडेलवाल, किषिका महाजन, मन्नत मिश्रा, अदिति बहद, अर्ची सक्सेना, ईशा भाटिया, नंदिनी खट्टर, अनामिका बसुठाकुर, छावनी खन्ना और आकाश खन्ना, आकाश खन्ना, अक्षरा, पूजा आदि सभी ने मिलकर नृत्य किया।
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