प्रतिरक्षा प्रणाली के महत्वपूर्ण घटकों को अक्षम बनाने में कोरोना वायरस जिस प्रोटीन का इस्तेमाल करता है, उसे रोकने का तरीका विज्ञानियों ने खोज निकाला है। माना जा रहा है कि इससे संक्रमण के खिलाफ नई दवा बनाने में आसानी होगी। अमेरिका के सेंट एंटोनिया स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सॉस हेल्थ साइंस सेंटर के शोधकर्ताओं ने दो मॉलिक्यूल विकसित किए हैं, जो सार्स-सीओवी-2 पीएलप्रो द्वारा प्रयोग किए जाने वाले मॉलिक्यूल ‘सीजर’ एंजाइम को रोकने का काम करते हैं।
‘जर्नल साइंस’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार सार्स-सीओवी-2-पीएलप्रो मानव प्रोटीन को प्रोसेस करके संक्रमण को बढ़ाने का काम करता है। यूटी हेल्थ सेंट एंटोनियो में बायोकेमिस्ट्री और स्ट्रक्चरल बायोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर और शोध के वरिष्ठ लेखक शॉन के ओल्सेन ने कहा कि यह एंजाइम दो तरफा दिक्कतें पैदा करता है। यह ना केवल वायरस के लिए जिम्मेदार प्रोटीन को उत्तेजित करता है बल्कि संक्रमण पर हमला करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को संकेत देने वाले साइटोकिंस और केमोकिंस नामक अणुओं को भी रोकता है। सार्स-सीओवी-2-पीएलप्रो मानव प्रोटीन को यूबीक्यूटिन और आइएसजी15 में बांटता है। यह मॉलिक्यूल सीजर की तरह काम करके प्रोटीन को बनाए रखने में मदद करता है।
विज्ञानियों ने जिन अवरोधकों का विकास किया है, वह सार्स-सीओवी-2-पीएलप्रो को रोकने में काफी हद तक कामयाब रहे हैं। जब शोधकर्ताओं ने इन एंजाइमों की तुलना पूर्व में मिले कोरोनावायरस के एंजाइमों से की तो उन्हें पता चला कि यह अपने समकक्ष की तुलना में अलग तरह से काम करते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि विभिन्न कोरोनावीरों में इन एंजाइमों की समानता और अंतर को समझकर कोरोना वायरस के खिलाफ अवरोधकों को विकसित किया जा सकता है।