नवरात्रि में में इन नामों से नवदुर्गा की पूजा करते हैं:- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। ब्रह्मचारिणी अर्थात जब उन्होंने तपश्चर्या द्वारा शिव को पाया था। चन्द्रघंटा अर्थात जिनके मस्तक पर चन्द्र के आकार का तिलक है। उदर से अंड तक वे अपने भीतर ब्रह्मांड को समेटे हुए हैं इसीलिए कूष्मांडा कहलाती हैं। उनके पुत्र कार्तिकेय का नाम स्कंद भी है इसीलिए वे स्कंद की माता कहलाती हैं।
प्रतिफलस्वरूप महिषासुर ने नरक का विस्तार स्वर्ग के द्वार तक कर दिया और उसके इस कृत्य को देखकर देवता विस्मय की स्थिति में आ गए।
स्वर्गलोक का मालिक बन बैठा। देवताओं को महिषासुर के प्रकोप से पृथ्वी पर विचरण करना पड़ रहा है। तब महिषासुर के इस दुस्साहस से क्रोधित होकर देवताओं का नाश करने के लिए सभी देवताओं ने देवी दुर्गा की रचना की। ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा के निर्माण में सारे देवताओं का एक समान बल लगाया गया था।
सम्मिलित प्रयास से देवी दुर्गा और बलवान हो गई थीं। इन 9 दिन देवी-महिषासुर संग्राम हुआ और अंतत: 10वें दिन उसका वध हुआ तब माता महिषासुरमर्दिनी कहलाईं। इसके बाद 10वें दिन इसी विजय की खुशी में विजयादशमी बनाई जाती है।