दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कार्यरत एक 25 वर्षीय डॉक्टर की डेंगू से मौत हो गई। वे सफदरजंग अस्पताल में इलाजरत थे। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना काल में लोगों को डेंगू से और ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है, क्योंकि डेंगू के साथ कोरोना संक्रमण ज्यादा घातक हो सकता है।
पिछले साल दिल्ली में डेंगू के 5077 मामले सामने आए थे, जबकि इस साल 266 मामले सामने आ चुके हैं। देखा गया है कि अक्तूबर में डेंगू के सबसे अधिक मामले सामने आते हैं। ऐसे में डेंगू का खतरा बना हुआ है।
डेंगू मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी है। डेंगू बुखार को ब्रेकबोन बुखार भी कहा जाता है। आमतौर पर डेंगू की बीमारी का खतरा मॉनसून के महीने में ज्यादा रहता है। यह एक गंभीर फ्लू जैसी बीमारी होती है।
सभी उम्र के लोग इस बीमारी से प्रभावित हो सकते हैं। डेंगू बुखार में हाई फीवर हो सकता है और नाक और मसूड़ों से खून निकलना, लीवर वृद्धि और सर्कुलेटरी सिस्टम (संचार प्रणाली) भी फेल हो सकती है।
डेंगू के लक्षण
ठंड के साथ तेज बुखार, सिर और मांसपेशियों में दर्द
कमजोरी, भूख न लगना, जी मिचलाना, स्वाद नहीं आना
आंखों के पिछले हिस्से में दर्द, जोड़ों में हड्डीतोड़ दर्द आदि
सामान्यत: डेंगू 5-7 दिन के इलाज से ठीक हो जाता है। लेकिन डेंगू शॉक सिंड्रोम और हेमरेजिक फीवर खतरनाक होता है। इस बीमारी के दौरान मेडिकल सुपरविजन (चिकित्सकीय देखरेख) में रहना बहुत महत्वपूर्ण होता है।
नॉनटोलॉजिस्ट एंड पेडिएट्रिसियन कंसल्टेंट डॅाक्टर रमानी कहते हैं कि अगर प्लेटलेट काउंट बहुत कम हो जाता है, तो इससे इंटरनल ब्लीडिंग (आंतरिक रक्तस्राव) की संभावना भी बढ़ सकती है और इसलिए प्लेटलेट ट्रांसमिशन महत्वपूर्ण हो जाता है।
ज्यादातर वायरल इन्फेक्शन की तरह डेंगू के मामलों में साधारण बुखार होता हैं और प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं। हालांकि समय पर मेडिकल अटेंशन (देखरेख) और सुपरविजन बनाए रखने से पेट में दर्द, पेशाब कम होने, ब्लीडिंग और बीमारी की वजह से पैदा हुई मेंटल कंफ्यूजन जैसी कॉम्प्लीकेशन्स के खतरे को रोका जा सकता है।
पैरासिटामोल और अन्य जरूरी दवाओं के साथ तरल पदार्थों के सेवन से प्लेटलेट काउंट 7-9 दिनों में मेनटेन हो जाता है।