श्री गुरु रविदास चौक से बूटा मंडी की तरफ बढ़ते ही दाहिने हाथ स्थित विशाल श्री गुरु रविदास धाम देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी बसी संगत की आस्था का केंद्र है। श्री गुरु रविदास जी के प्रकाशोत्सव पर शहर में विदेश से भारी संख्या में संगत पहुंचती है। इन दिनों में बेगमपुरा जाने के लिए भी शहर में देश-विदेश की संगत एकत्रित होती है। विभाजन से पहले के बने इस धाम की प्रसिद्धि से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि रविदासिया समाज का शहर के साथ सैकड़ों वर्ष पूर्व से संबंध रहा है। समय के साथ इसमें व्यापक विस्तार हुआ है।

विभाजन से पूर्व से निर्मित है धाम
श्री गुरु रविदास धाम के महासचिव महेश चंद्र बताते हैं कि श्री गुरु रविदास धाम का निर्माण देश के विभाजन से पूर्व हुआ था। उस समय धाम के आसपास न तो विशेष आबादी हुआ करती थी व न ही यहां कॉमर्शियल प्रतिष्ठान होते थे। समय के साथ श्री गुरु रविदास जी की प्रेरणा से रविदासिया समाज ने दिन रात मेहनत कर चमड़े का कारोबार विकसित किया। उसके बाद से श्री गुरु रविदास धाम के आसपास व्यापारिक प्रतिष्ठान शुरू करने के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों में ही रिहाइश बना ली। तब से यह इलाका तेजी के साथ विकसित हुआ है।
श्री गुरु रविदास जी की अमृतवाणी का ले रहे लाभ
श्री गुरु रविदास धाम के संयुक्त सचिव गौरव महे बताते हैं कि धाम में श्री गुरु रविदास जी की अमृतवाणी का प्रकाश किया गया है, जिसका लाभ जिले भर से आकर संगत लेती है। वह बताते हैं कि विशाल रकबे में बने इस धाम के बेसमेंट में विशाल लंगर हॉल और ग्राउंड फ्लोर पर पवित्र श्री अमृतवाणी का प्रकाश किया गया है। इस वातानुकूलित हॉल में बैठकर संगत गुरु महाराज की प्रार्थना करती है।
धाम ने दी इलाके को नई पहचान
जिस जगह पर श्री गुरु रविदास धाम का निर्माण किया गया है, शुरुआत में इसे केवल बूटा मंडी ही कहा जाता था। इस इलाके में अधिकतर लेदर के प्रतिष्ठान होने के कारण आम लोगों की आमद इधर कम हुआ करती थी। जैसे-जैसे इस पवित्र धाम का प्रचार-प्रसार हुआ तो इस इलाके को नई पहचान मिली। आज दूर-दूर से लोग बूटा मंडी में श्री गुरु रविदास धाम के समक्ष नतमस्तक होने के लिए आते हैं।
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