हाथरस दुष्कर्म काण्ड: CM योगी के बेहद करीबी अवनीश अवस्थी की भूमिका को लेकर उठ रहे संदेह के घेरे

उत्तर प्रदेश सरकार के लिए 12-14 घंटे देने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जिसका अंदेशा था, न चाहते हुए भी वही हो गया। लखनऊ के उच्चपदस्थ सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री सचिवालय में अफसरों के तालमेल में कमी ने पूरी राज्य सरकार को कठघरे में ला खड़ा किया। मुख्यमंत्री के बेहद करीबी अवनीश अवस्थी की भूमिका को लेकर प्रदेश के सचिव और प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों में काफी फुस-फुसाहट है।

सूत्र का कहना है कि तालमेल के अभाव ने ही हाथरस को देखते-देखते राजनीति का बड़ा प्लॉट बना दिया है। यूपी काडर के हाल में रिटायर हुए आईएएस अफसर का कहना है कि पिछले तीन-चार महीने का घटनाक्रम देखिए, तो लगता ही नहीं कि जैसे कोई सरकार चल रही हो।

हाथरस की लाडली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती होने के बाद से ही यूपी सरकार के कान खड़े होने शुरू हो गए थे। प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अफसर की मानें तो अस्पताल में लाडली के दम तोड़ने के बाद राज्य सरकार के रणनीतिकार मुख्यमंत्री की इच्छानुसार सबकुछ शांतिपूर्ण तरीके से निबटा देने की प्रबंधन कला में लग गए थे। बताते हैं कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने और लाडली का शव हाथरस के लिए रवाना होने के बीच काफी कुछ रणनीति बना ली गई थी।

स्थानीय स्तर पर शवदाह की तैयारियों के लिए कह दिया गया था और देर रात शव को जला भी दिया गया, लेकिन सुबह होते ही कहानी उल्टी पड़ गई। एक अहम चैनल पर दिखाई गई खबरों ने आग में घी काम कर दिया।

नोएडा के एक वरिष्ठ अधिकारी से मिली जानकारी के मुताबिक नोएडा से राहुल गांधी-प्रियंका गांधी का काफिला हाथरस के लिए आगे बढ़ गया। उन्हें यूपी-दिल्ली सीमा तक रोके जाने जैसा कुछ नहीं था, लेकिन जैसे ही यह कुछ और आगे बढ़ा, इसे रोक लिया गया। बताते हैं फरमान अचानक आया। राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, मीडिया प्रभारी महासचिव रणदीप सुरजेवाला समेत अन्य नेता और कार्यकर्ता पैदल आगे बढ़ रहे थे, लेकिन अचानक आए फरमान के कारण रास्ते में रोक दिए गए। कहा-सुनी के दौरान धक्का-मुक्की में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी के सांसद जमीन पर गिर गए। उनके हाथ में चोटें भी आईं। बताते हैं इस घटना ने राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश सरकार की फजीहत करा दी।

अगले दिन इसी तरह की घटना राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन और टीएमसी नेताओं के साथ हो गई। इसमें भी कांग्रेस नेता अमृता धवन के कपड़े फट जाने की घटना ने आग में घी का काम किया। इस तरह की स्थिति से घबराकर यूपी सरकार के लखनऊ में बैठे अफसरों ने आनन-फानन में न केवल पीड़िता के गांव जाने वाले रास्ते, बल्कि हाथरस जाने वाले सभी रास्ते को सील कर दिया। गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर के प्रशासन तथा पुलिस विभाग के अफसरों ने तीन अक्तूबर को शाम छह बजे के बाद राहत की सांस ली। एक्सप्रेस-वे पुलिस थाने के सूत्र की मानें तो कल रात से ही जांच पड़ताल तेज चल रही थी। प्रशासन को लग रहा था कि क्या पता भट्ठा परसौल की तरह राहुल और प्रियंका अचानक हाथरस न पहुंच जाएं।

तीन अक्तूबर को राहुल-प्रियंका ने फिर पार्टी सांसदों के साथ हाथरस जाने का फैसला लिया। करीब पौने दो बजे से ही मयूर विहार से नोएडा में प्रवेश करने वाले रास्ते से लेकर डीएनडी की स्थिति देखने के लायक थी। तीन बजे से ही एक्सप्रेस-वे से यमुना एक्सप्रेस वे पर जाने वाले लिंक रोड पर गौतमबुद्ध नगर का पुलिस महकमा जमा था। जिलाधिकारी एल वाई सुहास हर पल डीएनडी से लेकर यमुना एक्सप्रेस वे की खबर ले रहे थे। यहां तक कि राहुल और प्रियंका के साथ पांच गाड़ियों में केसी वेणुगोपाल, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी समेत अन्य को हाथरस जाने देने में प्रशासन को पसीना आ गया।

जद(यू) महासचिव केसी त्यागी पहले ही योगी सरकार के कदम की आलोचना कर चुके हैं। भाजपा की नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपनी असहमति जता दी है। उमा भारती का कहना है कि यूपी सरकार को मीडिया और नेताओं को हाथरस पीड़िता के गांव जाने देना चाहिए था। अब आइए भाजपा मुख्यालय चलते हैं। पार्टी के कई नेता ऑफ द रिकार्ड कह रहे हैं कि यूपी सरकार मामले को ढंग से मैनेज नहीं कर पाई।

पार्टी के एक पूर्व सांसद का कहना है कि योगी सरकार लगातार कानून-व्यवस्था के मामले में अपना रिकॉर्ड खराब कर रही है। बनारस के एक विधायक ने भी कहा कि सरकार को लखनऊ से कुछ आईएएस अफसर चला रहे हैं। जब अफसर सरकार चलाते हैं, तो वहां अफसरी प्रपंच के अलावा कोई उम्मीद नहीं करनी चाहिए। मेरठ के संघ से जुड़े एक बड़े नेता का कहना है कि बिना वजह थोड़ी सी चूक के चलते लोगों को राजनीति करने का अवसर मिल गया। समझा जा रहा है कि इस मामले को लेकर केंद्र के भाजपा के कुछ बड़े नेताओं ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से न केवल बात की बल्कि अपने सुझाव भी दिए हैं।

प्रियंका गांधी की सूझ-बूझ और राहुल गांधी के जोश ने हाथरस मामले को नया प्लॉट दिया है। लखनऊ के सचिव स्तर के एक अधिकारी का कहना है कि हाथरस, अलीगढ़, मेरठ, सहारनपुर, समेत तमाम क्षेत्रों में आजाद समाद पार्टी के नेता चंद्रशेखर आजाद रावण की फॉलोइंग काफी बढ़ी है। रावण के हाथरस मामले में उतरकर न्याय की मांग से भी प्रदेश सरकार के अफसर परेशान हो गए और उन्हें नजरबंद कर दिया गया। इससे जितना चंद्रशेखर को राजनीतिक बढ़त मिल रही है, उतना ही बहुजन समाज पार्टी की मायावती को नुकसान हो रहा है। बताते हैं इसी स्थिति से बचने के लिए यूपी सरकार ने आनन-फानन में पीड़िता के परिवार को 25 लाख रुपये मुआवजा, घर और परिवार के एक आदमी को नौकरी देने का वादा कर लिया। लेकिन अगले दिन तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन के साथ राहुल गांधी जैसी बदसलूकी तथा सपा कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज, हाथरस की नाकेबंदी, मीडिया पर सेंसर ने स्थिति को और उलझा दिया।

मध्यप्रदेश की 28 सीटों पर उपचुनाव सहित कुल 12 राज्यों की 56 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। बिहार विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया भी चल रही है। राजनीति के पंडितों का मानना है कि इसका असर उपचुनाव और विधानसभा चुनाव पर पड़ना तय है। मध्यप्रदेश के एक स्थानीय अखबार के संपादक का कहना है कि ग्वालियर, भिंड, मुरैना, चंबल संभाग में भी लोग रहते हैं। यूपी में भाजपा सरकार की निष्क्रियता एमपी के इन जिलों में लोगों को प्रभावित कर सकती है। वहीं 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में दादरी के बिलाहदा गांव (यूपी) की घटना (अखलाक प्रकरण) ने काफी प्रभावित किया था। समझा जा रहा है कि राहुल और प्रियंका के हाथरस से लौटकर आने के बाद अब पीड़ित परिवार से मिलने के लिए जाने वाले नेताओं का तांता लगा रहेगा। यूपी सरकार इसे सोचकर भी परेशान है।

 

 

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