काशी में सब्जी की खेती से किसान मालामाल हो रहे हैं। युवा पीढ़ी का भी खेती की ओर रूझान बढ़ा है। बड़ागांव क्षेत्र के दंडीपुर निवासी प्रदीप कुमार पटेल बीटेक पास छात्र रहे चुके हैं, लेकिन उनको नौकरी रास नहीं आईं। वह आधुनिक तकनीक से खेती कर शिमला मिर्च, टमाटर, बैगन, खीरा आदि से हर साल 10 लाख रुपये से अधिक कमा रहे हैं। सरकारी योजनाओं का भी वह भरपूर उपयोग कर रहे हैं। उनकी खेती के तौर-तरीके के अधिकारी भी कायल हैं। साथ ही दर्जनों लोगों को उनसे रोजगार भी मिल रहा है। खास बात है कि प्रदीप खेती में दवा या रसायन का न्यूनतम ही उपयोग करते हैं। इसके कारण सब्जी की गुणवत्ता भी बेहतर रहती है और लागत भी कम है। प्रदीप इंडियन इंस्टीट्यूट आफ हैंडलूम टेक्नोलॉजी से 2009 के पास आउट हैं। दो साल तक कई जगह कार्य किया, लेकिन उन्हें खेती वापस अपने गांव खींच लाई।

ड्रिप सिंचाई से 20 फीसद अधिक पैदावार
प्रदीप बताते हैं कि ड्रिप सिंचाई का प्रयोग सभी फसलों की सिंचाई में करते हैं, लेकिन बागवानी में इसका प्रयोग अच्छे से होता है। टपक सिंचाई में पेड़ पौधों को जरुरी मात्रा में पानी मिलता है। इससे उत्पादकता में 20 से 30 प्रतिशत तक अधिक लाभ मिलता है।
60 फीसद तक पानी की बचत
इस विधि से 60 से 70 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है। इस विधि से ऊंची-नीची जमीन पर सामान्य रुप से पानी पहुंचता है। इसमें सभी पोषक तत्व सीधे पानी से पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है तो अतिरिक्त पोषक तत्व बेकार नहीं जाता, जिससे उत्पादकता में वृद्धि होती है। पानी सीधा जड़ों तक पहुंचता है जिससे आस-पास की जमीन सूखी रहती है और खरपतवार भी नहीं पनपते। निराई-गुड़ाई का खर्च भी बच जाता है।
पौधों की बारिश की बूंदों की तरह सिंचाई
वहीं फव्वारा (स्प्रिंकल) विधि से सिंचाई में पानी का छिड़काव किया जाता है, जिससे पानी पौधों पर बारिश की बूंदों की तरह पड़ता है। पानी की बचत और उत्पादकता के हिसाब से स्प्रिंकल विधि उपयोगी मानी जाती है। ये सिंचाई तकनीक लाभदायक साबित हो रही है। इस विधि से सिंचाई करने पर मिट्टी में नमी बनी रहती है और सभी पौधों को समान पानी मिलता रहता है।
फव्वारा व टपक विधि से खेती पर अनुदान भी
जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्ता बताते हैं टपक विधि से सिंचाई के लिए उपकरण पर लगभग 90 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है। इस साल इसके लिए 10 हेक्टेयर का लक्ष्य है। वहीं फव्वारा विधि से खेती पर उपकरण के लिए भी सरकार की तरफ से अनुदान दिया जा रहा है, जिसका लक्ष्य 200 हेक्टेयर है।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal