भारत और चीन के बीच सीमा विवाद चरम पर है। इसी बीच चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारतीय सेना पैंगोंग झील के दक्षिणी हिस्से से नहीं हटती तो चीनी सेना पूरी सर्दियों में वहीं जमी रहेगी। दोनों देशों में जंग हुई तो भारतीय सेना जल्दी ही हथियार डाल देगी। भारत का सैन्य ढांचा कमजोर है।
भारत शांति चाहता है तो दोनों देशों को एलएसी की 7 नवंबर 1959 की स्थिति ही माननी होगी। भारत जंग चाहता है तो हम उसकी ये इच्छा पूरी करेंगे। देखते हैं कि कौन सा देश दूसरे को मात दे सकता है। चीन ने हमेशा से भारत के सम्मान की फिक्र की है। भारत की राष्ट्रवादी ताकतें इस सम्मान का फायदा उठाना चाहती हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है। भारत सरकार इसे वापस लेने की कोई योजना बना रही है या फिर इसे ‘भगवान की मर्जी’ मानकर छोड़ देंगे।
एक और ट्वीट में उन्होंने कहा कि चीन के साथ सिर्फ और सिर्फ मार्च 2020 से पहले की यथास्थिति की बहाली पर बातचीत होनी चाहिए। प्रधानमंत्री और भारत सरकार हमारी जमीन से चीन को बाहर खदेड़ने की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर रहे हैं। बाकी सारी बातचीत तो बेकार है।
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि भारत चीन सीमा पर, खासकर लद्दाख में जो कुछ भी हो रहा है, सरकार को उस पर एक प्रस्तुतीकरण देना चाहिए। रक्षा मामलों की स्थायी संसदीय समिति की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली आए पवार ने कहा कि चर्चा के लिए रक्षा संबंधित अन्य विषय भी हैं लेकिन वह अनुरोध करेंगे कि जमीनी हालात पर प्रस्तुतीकरण दिया जाए।
इस बारे में हम सभी चिंतित हैं। रक्षा संबंधित विभिन्न विषयों पर बैठक में चर्चा होगी। उन्होंने भारत-चीन सीमा पर जारी तनाव को बेहद संवेदनशील मामला बताते हुए कहा कि इस पर किसी को भी आरोप-प्रत्यारोप से बचना चाहिए।