बड़ी खबर: मोदी राज में जम्मु-कश्मीर में इंटीग्रेटेड शिकायत निवारण प्रणाली हुई शुरु

एलजी मनोज सिन्हा ने लोगों के मुद्दों का समय पर निवारण करने के लिए प्रदेश के पहले इंटीग्रेटेड शिकायत निवारण प्रणाली का अनावरण किया। इस प्रणाली के अंतर्गत लोगों की शिकायतों और अन्य मुद्दों की चौबीस घंटे निगरानी होगी। इस पोर्टल को भारत सरकार के शिकायत पोर्टल के साथ जोड़ा जाएगा। अब यहां के बाशिंदों की शिकायतें सीधे दिल्ली दरबार पहुंचेंगी।

साथ ही इनका जल्द निपटारा भी होगा। श्रीनगर के राज भवन में शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर इंटीग्रेटेड शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (आईजीआरएमएस) को पहली बार सामने लाने का निर्णय शुक्रवार को राज्य की प्रशासनिक परिषद (एसएसी) की बैठक में लिया गया।

मनोज सिन्हा ने कहा कि हाल ही में विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों से मिलने के बाद पता चला कि प्रशासन और शासन से जुड़े अन्य विभागों के अधिकारी लोगों के लिए उपलब्ध नहीं रहते हैं। इसलिए जेएंडके आईजीआरएमएस को शुरू करने का फैसला लिया गया। सिन्हा ने कहा कि जम्मू और कश्मीर शिकायतों का यह पोर्टल भारत सरकार के शिकायत पोर्टल के साथ जोड़ा जाएगा। इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत सबसे पहले श्रीनगर, जम्मू और रियासी जिले में शुरू हुई। दो अक्तूबर तक शेष जिलों में भी यह सुविधा उपलब्ध होगी।

एलजी ने बताया कि पोर्टल पर शिकायतों का हर मिनट स्टेटस अपडेट होगा। यदि लोगों की शिकायतों को दूर करते हुए कोई देरी या कोताही होगी तो संबंधित अफसर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि सभी 20 जिलों में 1500 दफ्तरों में यह सुविधा उपलब्ध होगी। वर्तमान में 250 दफ्तरों में यह सुविधा उपलब्ध है। बताया कि पोर्टल पर सातों दिन 24 घंटे शिकायतें दर्ज कराई जा सकती हैं।

साथ ही जनता अपनी शिकायतों का फीडबैक रविवार को छोड़कर अन्य दिनों में सुबह साढ़े नौ से साढ़े पांच बजे तक ले सकती है। पब्लिक ग्रीवांस के सचिव सिमरनदीप सिंह ने बताया कि जिलों में स्थापित कॉल सेंटर जम्मू व श्रीनगर में बने मुख्यालयों से नियंत्रित किए जाएंगे। यह पोर्टल 2018 में बने सरकारी पोर्टल के स्थान पर होगा।

एलजी ने कहा कि एसएसी की बैठक में एक अन्य निर्णय लिया गया है कि एसपी और डीसी सोमवार से सप्ताह में पांच दिन सुबह साढ़े दस से साढ़े 11 बजे तक अपने कार्यालयों में लोगों के लिए मौजूद रहेंगे। ऐसे ही समान निर्देश जम्मू और कश्मीर क्षेत्रों के डिवीजनल कमिश्नरों और आईजीपी के लिए भी होंगे।

 

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