बड़ी खबर: समाजवादी पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले सत्यपाल मलिक मेघालय के राज्यपाल बनेगे

गोवा के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को मेघालय तबादला कर दिया गया. सत्यपाल मलिक वहां तथागत राय की जगह लेंगे जबकि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को गोवा का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. मोदी कैबिनेट के इस फैसले पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुहर लगा दी है. सत्यपाल मलिक का एक साल में यह तीसरा तबादला है जबकि तीन साल में चौथा राज्य है, जहां का राज्यपाल बनाया गया.

समाजवादी पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले सत्यपाल मलिक को पहली बार बिहार के राज्यपाल के तौर पर नियुक्त किया गया था. केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद 30 सितंबर, 2017 को सत्यपाल मलिक को बिहार का राज्यपाल बनाया गया और एक साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही 23 अगस्त 2018 को जम्मू-कश्मीर तबादला कर दिया गया. हालांकि, इस दौरान सत्यपाल मलिक को 2018 में कुछ महीनों के लिए ओडिशा का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था.

सत्यपाल मलिक ने 23 अगस्त 2018 को जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल का पद संभाला था. जम्मू-कश्मीर में वो 14 महीने तक यानी 30 अक्टूबर 2019 तक रहे. सत्यपाल मलिक के राज्यपाल रहते हुए ही पिछले साल 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म किया था. इस दौरान सत्यपाल मलिक ने काफी अहम भूमिका निभायी थी. केंद्र ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया, यह फैसला 31 अक्टूबर से लागू हुआ था.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 25 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर से ट्रांसफर कर उन्हें गोवा का राज्यपाल नियुक्त किया था. मलिक ने 3 नवंबर 2019 को गोवा के राज्यपाल पद की शपथ लेते हुए कार्यभार संभाला था. अब एक साल पूरा होने से पहले ही उनका तबादला मेघालय कर दिया गया है. मेघालय में वो तथागत राय की जगह लेंगे, जिनका पांच साल का कार्यकाल पूरा हो गया है.

बता दें कि सत्यपाल मलिक का जन्म बागपत के हिसावदा गांव में हुआ था. उनके पिता बुध सिंह एक किसान थे. उन्होंने मेरठ कॉलेज से बीएससी और कानून की पढ़ाई की. यहीं से एक समाजवादी छात्र नेता के तौर पर राम मनोहर लोहिया से प्रेरणा लेकर उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी. मलिक पहली बार बागपत सीट पर चौधरी चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल के प्रत्याशी के तौर पर 1974 में चुनाव लड़े और जीतकर विधायक बने. इसके बाद 1980 और 1986 में लगातार दो बार राज्यसभा सदस्य चुने गए. इस दौरान वो कांग्रेस में भी रहे, लेकिन बाद में उन्होंने जनता दल का दामन थाम लिया.

जनता दल से सत्यपाल मलिक 1989 से 1991 तक अलीगढ़ सीट से सांसद रहे. इसके बाद सपा का दामन थाम लिया और 1996 में हार का सामना करना पड़ा. साल 2004 में भाजपा में शामिल हो गए और लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा लेकिन इसमें उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह से हार का सामना करना पड़ा था. 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था. इसके बाद मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद उन्हें राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई.

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com