कोरोना संक्रमित संदिग्ध मरीजों के लिए इंदौर के एक निजी कॉलेज के गर्ल्स हॉस्टल में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर में कुछ मरीजों ने छात्राओं के प्रमाण पत्र व वहां रखा अन्य सामान फेंक दिया और बिस्तर फाड़ दिए। हाल ही में छात्राएं वापस लौटकर आई तो हॉस्टल की हालत देख सोशल मीडिया पर फोटो वायरल कर दिए। कॉलेज प्रबंधन ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए पांच छात्राओं और एक छात्र को निलंबित कर दिया। इसके बाद शनिवार को छात्र संगठन के पदाधिकारियों ने निलंबन का विरोध करते हुए कॉलेज में हंगामा किया।
मामला इंदौर इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ का है। यहां के गर्ल्स हॉस्टल को प्रशासन ने क्वारंटाइन सेंटर बनाया था। 30 कमरों में ढाई महीने तक 140 संदिग्ध मरीजों को रकवाया गया था। इसी दौरान कुछ मरीजों ने शर्मनाक हरकतें की। घटना सामने आने के बाद शनिवार को एबीवीपी के छात्रनेता वीरेंद्रसिंह सोलंकी के नेतृत्व में कई छात्र नेताओं ने कॉलेज परिसर में हंगामा किया। डायरेक्टर अक्षय बम से छात्र नेताओं ने बहस की और विद्यार्थियों का निलंबन खत्म करने को कहा।
उन्होंने लॉकडाउन अवधि में विद्यार्थियों के नहीं रहने के बाद भी हॉस्टल की पूरी फीस विद्यार्थियों से वसूलने का आरोप भी लगाया। मामले में बम का कहना है कि सेंटर बनाने के बाद कॉलेज का स्टाफ यहां नहीं था। पूरा सेंटर प्रशासन को सौंप रखा था। मरीजों ने कुछ कमरे खराब कर दिए थे। जो नुकसान हुआ, उसका पूरा ब्योरा प्रशासन को भेजा जाएगा। मामले में कार्रवाई होने तक विद्यार्थियों को रुकना था। जहां तक हॉस्टल फीस का सवाल है तो वह पहले ही कम कर दी गई है। छात्र संगठन का आरोप गलत है।
विवेक श्रोत्रिय, क्वारंटाइन सेंटर प्रभारी इंदौर
इस सबंध में मेरे पास अब तक कोई जानकारी नहीं आई है। एसडीएम से चर्चा कर पता लगाएंगे कि आखिर ऐसा कैसे हुआ।