कोरोना महामारी के दौर में आज जब देशभर के स्कूल बंद हैं. आज निजी स्कूलों के अभिभावकों के सामने ऑनलाइन कक्षाओं की मोटी-मोटी फीस की एक बड़ी चिंता सामने खड़ी हो गई है. लॉकडाउन के दौर में कई लोगों ने अपने जॉब खो दिए हैं तो किसी का व्यवसाय ठप पड़ गया है. स्कूलों की तरफ से लगातार पड़ रहे फीस के दबाव के बाद अब अभिभावक तमाम माध्यमों से सरकार तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं. आइए जानते हैं कि देश भर के अभिभावक आखिर स्कूलों से चाहते क्या हैं.
दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आज देशभर में शिक्षा पर चर्चा हो रही है. लेकिन आप ये देखिए कि ऑनलाइन के जरिये किस वर्ग को शिक्षा देने की चर्चा हो रही है. समाज का एक वर्ग जो फीस चुकाने में पूरी तरह सक्षम है, उसको लेकर चर्चा की जा रही है. लेकिन एक वर्ग ऐसा है, जिनके लिए फीस देना भी दूभर है.
अपराजिता कहती हैं कि जो छोटे मोटे काम करते थे, उनकी दुकानें बंद हो गई हैं. मजदूर-मिस्त्री से लेकर छोटे मोटे बिजनेस कराने वालों के काम ठप हो गए हैं. प्राइवेट जॉब चली गई या सैलरी कट रही है. अब जब उनके पास जीवनयापन के सीमित संसाधन बचे हैं, ऐसे में वो मोटी फीस कैसे जुटाएं.
इसी के चलते लॉकडाउन में भी सारे देश में पेरेंट्स आंदोलन कर रहे हैं. हर राज्य में अभिभावक हाईकोर्ट में याचिकाएं डाल रहे हैं. लेकिन सभी राज्य सरकारें प्राइवेट स्कूलों के साथ खुलकर खड़ी हो गई हैं. पेरेंट्स के सपोर्ट में कोई नहीं है. देशभर के पेरेंट्स लॉकडाउन में नो स्कूल, नो फीस आंदोलन चला रहे हैं.
14 साल तक के बच्चों को फ्री एजुकेशन दिलाना संवैधानिक अधिकारों में आता है. केंद्र सरकार प्रज्ञाता जैसे कार्यक्रमों के जरिये आज मुफ्त ऑनलाइन एजुकेशन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है. लेकिन इसको लेकर भी राज्य सरकारें कोई जवाब नहीं दे रही हैं. पेरेंट्स एसोसिएशन का कहना है कि स्कूल जब तक राज्य सरकार नियम नहीं बनाती तब तक कोई भी ऐसी रियायत नहीं देते.
पेरेंट्स साफ साफ कहते हैं कि स्कूल खुल भी जाएगा, तो भी जब तक वैक्सीन नहीं बन जाती है. वो बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे. लेकिन साथ में पेरेंट्स ये भी चाहते हैं कि महामारी के दौरान स्कूल फीस में बड़ी रियायत दें या फीस पूरी तरह माफ करें. आज भी पेरेंट्स कह रहे हैं कि जब ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं तो एक्टिविटी या डेवेलपमेंट जैसे चार्जेज हम क्यों दें.
इस सप्ताह चले NoSchool2021, ZeroFee2021 ऑनलाइन अभियान में अभिभावकों ने प्रधानमंत्री के कार्यक्रम मन की बात के लिए टोल फ्री नम्बर 1800117800 पर कॉल करके अपनी बात कही. अपराजिता ने बताया कि सोमवार से गुरुवार तक चार दिन चले अभियान में देशभर से तमाम पेरेंट्स ने अपनी बात कही है, अब देखना ये है कि सरकार इस पर क्या फैसला करती है. वहीं स्कूलों का तर्क है कि वो महामारी के दौरान भी बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं, और टीचर्स को सैलरी भी देनी है. अगर वो जीरो फीस लेंगे तो इन मदों का खर्च कैसे निकालेंगे.
कोरोना लॉकडाउन के दौरान स्कूल फीस में छूट दिए जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि बिना कोई सेवा दिए स्कूलों का फीस और अन्य खर्चों की मांग करना ‘अवैध’ है. स्कूल के एडमिशन फॉर्म में ऐसा कोई फोर्स मेजर क्लॉज नहीं है. स्कूल अपने यहां के एडमिशन फॉर्म के नियमों और शर्तों को मानने के लिए बाध्य हैं.
वहीं स्कूल फीस को लेकर सियासी घमासान भी छिड़ गया है. कई राज्यों में विपक्षी दल राज्य सरकारों को निजी स्कूलों की फीस के मुद्दों पर घेर रहे हैं. वहीं सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले में सुनवाई पर कहा था कि स्कूलों को ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करने के लिए शिक्षकों को भुगतान करना होता है, साथ ही ऐसी कक्षाओं को चलाने के लिए उपकरणों, सॉफ्टवेयर और इंटरनेट कनेक्शन जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करना पड़ता है.