राहुल गांधी की कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर वापसी होने की संभावना है। माना जा रहा है कि वह अपनी मां सोनिया गांधी को 135 साल पुरानी पार्टी की जिम्मेदारियों से मुक्त कर सकते हैं।
हालांकि उनके सामने जो पहली समस्या है वो है मानव संसाधन। पिछले साल मई में लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद उन्होंने हार की जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।
कांग्रेस नेता के इस्तीफा देने के बाद से उनकी कोर टीम में शामिल रहे नेताओं ने या तो अपना पद या फिर पार्टी को छोड़ दिया है। हरियाणा में अशोक तंवर, त्रिपुरा में प्रद्योत देब बर्मन और झारखंड में अजॉय कुमार जैसे राज्य इकाई प्रमुखों ने कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ दिया है। वहीं 2015 में दिल्ली प्रमुख नियुक्त किए गए अजय माकन ने 2019 चुनावों से पहले पद छोड़ दिया था।
पार्टी के वरिष्ठ नेता और राहुल के करीबी माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस साल मार्च में कांग्रेस का हाथ छोड़कर कमल का दामन थाम लिया।
उन्होंने मध्यप्रदेश में पार्टी नेताओं कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के साथ लंबे समय तक चले तनाव के बाद पार्टी छोड़ दी। इसके बाद राज्य की सियासत में भूचाल आ गया था और कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई।
इसके अलावा राहुल गांधी द्वारा नियुक्त किए गए मुंबई कांग्रेस प्रमुख संजय निरुपम और मिलिंद देवड़ा ने भी अपने-अपने पद छोड़ दिए हैं। उनके पार्टी छोड़ने की अफवाहें थमने का नाम नहीं ले रही हैं जबकि दोनों ने ही इससे मना किया है। यानि राहुल के अध्यक्ष पद छोड़ने के 13 महीने में ही उनकी कोर टीम बिखर गई है।
ऐसा माना जाता है कि राहुल गांधी ने जिन सदस्यों को अपनी टीम में शामिल किया था उन्हें पार्टी के अंदर पुराने नेताओं ने दरकिनार कर दिया था। पीढ़ियों के संघर्ष में उनके नियुक्त नेताओं को दिल्ली मुख्यालय से वो समर्थन नहीं मिला जिसकी उन्हें जरूरत थी।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal
