कोरोना वायरस ने भारत समेत दुनियाभर की इकोनॉमी को बुरी तरह पस्त किया है. इस वजह से वैश्विक इकोनॉमी में दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी मंदी आने वाली है.
वहीं, भारत की अर्थव्यवस्थ 3.2 प्रतिशत सिकुड़ेगी. ये बातें विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट ग्लोबल इकोनॉमिक प्रास्पेक्ट (वैश्विक आर्थिक संभावना) में कही गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5.2 प्रतिशत की गिरावट आएगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि विकसित देशों में मंदी दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी होगी. वहीं उभरते और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में उत्पादन में कम से कम छह दशक में पहली बार गिरावट आएगी.
रिपोर्ट में विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपॉस ने कहा, ”केवल महामारी के कारण कोविड-19 मंदी 1870 के बाद पहली मंदी है. जिस गति और गहराई से इसने असर डाला है, उससे लगता है कि पुनरुद्धार में समय लगेगा. इसके लिए नीति निर्माताओं को अतिरिक्त हस्तक्षेप करने की जरूरत होगी.”
रिपोर्ट के मुताबिक विकसित अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक वृद्धि में 2020 में 7 प्रतिशत की गिरावट आएगी. वहीं उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में इस साल 2.5 प्रतिशत की गिरावट की आशंका है.
यह कम-से-कम 60 साल में पहली गिरावट होगी. रिपोर्ट के अनुसार प्रति व्यक्ति आय में 3.6 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है. इससे करोड़ों लोग गरीबी की दलदल में फंसेंगे.
अनुमान है कि 2020-21 में यह अर्थव्यवस्था कोविड-19 के प्रभावों के कारण 3.2 प्रतिशत संकुचित होगी. विश्व बैंक का कहना है कि भारत सरकार के राजकोषीय प्रोत्साहनों और रिजर्व बैंक की ओर से लगातार कर्ज सस्ता रखने की नीति के बावजूद बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र पर दबाव होगा. वहीं, वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट का भारत पर भी असर पड़ेगा.
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