विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दुनिया को कोरोना वायरस के एक नए लक्षण के प्रति आगाह किया है। डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों का कहना है कि बोलने में होने वाली दिक्कत वायरस का गंभीर लक्षण हो सकता है।

अभी तक दुनियाभर के डॉक्टर खांसी, बुखार को इसका मुख्य लक्षण मानते थे। संगठन ने यह चेतावनी ऐसे समय पर दी है जब कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या तीन लाख के ऊपर पहुंच गई है।
महामारी के संक्रमण से मुक्त हो चुके लोगों का कहना है कि अन्य लक्षणों के साथ-साथ बोलने में दिक्कत होना भी इसका एक संभावित लक्षण है।
डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों का कहना है कि किसी व्यक्ति को बोलने में आने वाली दिक्कत के साथ ही चलने में भी दिक्कत आ रही है तो उसे तुंरत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
संगठन ने कहा, ‘वायरस से प्रभावित ज्यादातर लोगों को सांस लेने में थोड़ी परेशानी हो सकती है और वे बिना किसी खास इलाज के ठीक हो सकते हैं।
कोरोना वायरस के गंभीर लक्षणों में सांस लेने में परेशानी और सीने में दर्द या दबाव, बोलना बंद होना या चलने फिरने में दिक्कत शामिल है।’ विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि यदि किसी को गंभीर दिक्कत हो रही है तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
डॉक्टर के पास जाने से पहले हेल्पलाइन पर एक बार जरूर सलाह ले लेनी चाहिए। हालांकि उन्होंने कहा कि बोलने में होने वाली दिक्कत हमेशा कोरोना का लक्षण नहीं होती।
कई बार दूसरी वजहों से भी ऐसी परेशानी हो सकती है। इस हफ्ते हुए एक अन्य शोध में कहा गया था कि मनोविकृति भी कोरोना का एक लक्षण हो सकता है।
मेलबर्न की ला ट्रोबे यूनिवर्सिटी ने चेतावनी देते हुए बताया था कि कोरोना के कारण कई मरीजों में मनोरोग बढ़ रहा है। शोध से जुड़े डॉक्टर एली ब्राउन ने बताया कि कोरोना का प्रभाव हर किसी के लिए बहुत तनावपूर्ण अनुभव होता है। व्यक्ति के आइसोलेशन में रहने की अवधि के दौरान यह बहुत ज्यादा बढ़ रहा है।
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