कोरोना वायरस संक्रमण से मुकाबले के लिए सरकार को अधिक धन चाहिए। दूसरी ओर देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से कर संग्रह में जबरदस्त कमी आई है। इसी को देखते हुए सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान बाजार से उधार उठाने की सीमा में 4.2 लाख करोड़ रुपये की भारी वृद्धि का फैसला किया है।

सरकार ने बाजार से कर्ज लेने की सीमा में 50 फीसद से अधिक की बढ़ोत्तरी की है। इसका मतलब है कि वित्त वर्ष 2020-21 में सरकार 12 लाख करोड़ रुपये तक का कर्ज बाजार से ले सकती है।
केंद्र सरकार के इस कदम का राजकोषीय घाटा पर उल्लेखनीय प्रभाव देखने को मिलेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2020-21 का केंद्रीय बजट पेश करते हुए बाजार से उधार उठाने की सीमा 7.80 लाख करोड़ रुपये तय की थी। वित्त वर्ष 2019-20 में यह सीमा 7.1 लाख करोड़ रुपये पर थी।
कर संग्रह पर लॉकडाउन के असर और कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए अतिरिक्त धन जुटाने की जरूरत को देखते हुए सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए बाजार उधार सीमा (मार्केट बॉरोइंग प्रोग्राम) में करीब 54 फीसद या 4.2 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी करते हुए 12 लाख करोड़ रुपये कर दिया।
वित्त मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी बयान में कहा गया है, ”वित्त वर्ष 2020-21 में सकल बाजार उधारी 12 लाख करोड़ रुपये पर रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2020-21 के बजट अनुमान में इसे 7.80 लाख करोड़ रुपये पर रखा गया था।”
सीतारमण द्वारा एक फरवरी, 2020 को पेश केंद्रीय बजट में चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा को जीडीपी के 3.5 फीसद पर सीमित रखने का लक्ष्य रखा गया था।
इस समय उधारी की सीमा में वृद्धि और राजस्व में भारी कमी को देखते हुए इस बात का आकलन मुश्किल लग रहा है कि राजकोषीय घाटे में कितनी अधिक वृद्धि होगी।
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