कोरोना वायरस के कहर से दुनिया में 13 करोड़ पचास लाख लोग भुखमरी की कगार पर: संयुक्त राष्ट्र

दुनिया कोरोना वायरस जैसी महामारी का प्रकोप झेल रही है और कोरोना केस चालीस लाख के पास पहुंच गए हैं. मौत का आंकड़ा भी दो लाख सत्तर हजार के पार हो गया है. लेकिन दुनिया को चलाने वाले तीन संगठनों ने जो चेतावनी दी है वो इससे भी खतरनाक है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन तो लंबे समय से कह ही रहा है कि कोरोना दुनिया के सामने सबसे बड़ा खतरा है. वहीं आज संयुक्त राष्ट्र के वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने भी कह दिया है दुनिया के गरीब देश भुखमरी बल्कि महाभुखमरी के कगार पर हैं.

इसके अलावा दुनिया में नौकरियां जाने का सिलसिला जारी है. अमेरिका में तीन करोड़ तीस लाख नौकरियां जा चुकी हैं. इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) ने भी कहा है कि ये 1930 में आए सबसे बड़े आर्थिक संकट से भी बड़ा खतरा है.

दुनिया पर कोरोना का ट्रिपल अटैक इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र ने माना है कि इससे भुखमरी की मार पड़ेगी और WHO ने माना कि ये सबसे बड़ी महामारी है जिससे अभी और भी कई जानें जा सकती हैं. वहीं IMF ने माना है कि कोविड-19 के चलते देशों की इकॉनोमी पर आर्थिक मंदी की भारी मार पड़ेगी.

दुनिया के गरीब देशों में कोरोना अभी तीन से छह महीने बाद पीक पर पहुंचेगा. अनुमान है कि उसके बाद महाभुखमरी का दौर शुरू होगा. वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के कार्यकारी निदेशक डेविड बिस्ले ने कहा है कि अभी हम पर महामारी की दोहरी मार है. भुखमरी का जबरदस्त प्रकोप होने जा रहा है. हम महाभुखमरी के कगार पर हैं.

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में 13 करोड़ पचास लाख लोग भुखमरी की कगार पर हैं. इसमें 82 करोड़ ऐसे लोग है जिनका पेट पूरी तरह भर नहीं पाता. लेकिन अब ये संख्या और बढ़ सकती है क्योंकि कोरोना के चलते पूरी दुनिया में सप्लाई चेन ठप हो गई है. जिसका असर गरीब देशों को उठाना पड़ेगा.

दुनिया में ऐसे 37 देश है जो भुखमरी की कगार पर हैं. जिन नौ देशों को यूएन ने शामिल किया है उनमें पाकिस्तान का नाम भी शामिल है. यूएन ने इसके लिए दुनिया से 5000 करोड़ रुपये इकट्ठा करने की अपील की है.

यूएन के महासचिव अंतोनियो गुटारेज ने कहा है कि हमारी जरूरत 6.7 बिलियन डॉलर इकट्ठा करने की है ताकि हम लाखों लोगों को कोरोना की चपेट में आने से बचा सकें. अगर कोविड -19 गरीब देशों में पहुंचेगा तो हम सब रिस्क पर हैं.

हालांकि ये पैसा कहां से आएगा जब दुनिया भर की सरकारों का खजाना खाली हो रहा है. खुद IMF मान रहा है कि इस बार का हाल 1930 की मंदी से भी बुरा है. आईएमएफ की एमडी क्रिस्टालीना जॉर्जिवा ने कहा कि ये दौर ग्रेट डिप्रेशन की भयानक मंदी से बड़ा है क्योंकि इसमें स्वास्थ्य संकट और आर्थिक झटका जुड़ गया है. ऐसे मौकों पर सरकारें खर्च करती हैं. अब वो कह रही है बाहर मत जाओ, खर्च मत करो.

अर्थव्यवस्था चौपट होने के डर से अब सरकारें लॉकडाउन की शर्तें हल्की कर रही हैं लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन चेतावनी दे रहा है कि अगर ऐसा किया तो कोरोना लौट कर आ सकता है और लॉकडाउन दोबारा लगाना पड़ सकता है.

दुनिया में कोरोना वायरस के केस चालीस लाख हो चुके हैं लेकिन कई देशों में ये अब तक पीक पर नहीं पहुंचा है. ऐसे में डर ये है कि दुनिया भर में कोरोना अभी कितना नुकसान पहुंचाएगा और बड़ा सवाल ये कि कोरोना के खत्म होने के बाद क्या दुनिया पहले जैसी रह पाएगी?

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com