आचार्य चाणक्य ने युवाओं के लिए कुछ नियम बताए हैं. जिन पर चलकर युवा अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं. ये लक्ष्य जीवन शैली से जुड़े हुए हैं क्योंकि चाणक्य का मानना था कि वही युवा अपने लक्ष्य को भेद सकता है जिसकी जीवन शैली संयमित और अनुशासित होती है.
चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में युवाओं के लिए कई अच्छी बातें बताई हैं जिन्हें जीवन में उतार कर कोई भी युवा बड़े से बड़ा लक्ष्य प्राप्त कर सकता है.
लेकिन युवास्था में कुछ ऐसी गलत आदतें भी होती हैं जिनके चुंगल में फंसकर युवा अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं. चाणक्य ने इन आदतों से दूर रहने की सालह दी है. आइए जानते हैं कि आखिर वो आदतें कौन सी हैं.
किसी भी युवा को अधिक देर तक नहीं सोना चाहिए. उससे बस उतनी ही नींद लेनी चाहिए कि जितनी स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त बताई गई है. जो युवा अधिक सोते हैं और देर तक सोते रहते हैं ऐसे युवा अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाते हैं.
जो समय उन्हें मेहनत करने में लगाना चाहिए वो समय वे सो कर गुजार देते हैं. जब समय आता है तो ऐसे युवा तनाव में आ जाते हैं. इसलिए इस आदत से दूर रहना चाहिए.
जो भी कार्य या जिम्मेदारी मिली है उसे समय रहते ही पूरा कर लेना चाहिए. जो युवा इस बात को भूल जाते हैं और काम को कल पर टालने की प्रवृत्ति बना लेते हैं वे कभी सफलता का आनंद नहीं ले पाते हैं. इसलिए कल पर टालने की आदत से बचना चाहिए.
युवाओं के लिए अनुशासन का विशेष महत्व बताया गया है. जिस युवा की जीवन शैली अनुशासित नहीं है उससे सफलता बहुत दूर रहती है. युवाओं का हर कार्य समय प्रबंधन से जुड़ा होना चाहिए.
समय प्रबंधन से अर्थ खेलना, पढ़ना, भोजन और आराम करने का समय निश्चित होना चाहिए, यदि ऐसा नहीं है तो लक्ष्य को पूरा करने में परेशानी आती है.
युवाओं को किसी भी तरह के व्यसन से दूर रहना चाहिए. युवाओं को किसी भी प्रकार का नशा, गलत भोजन, गलत संगत और गलत कार्यों से दूर रहना चाहिए.
ये युवाओं के लिए सबसे खतरनाक होती हैं इन आदतों में फंसने के बाद निकलना मुश्किल होता है और एक समय ऐसा आता है कि इन गलत आदतों की वजह से युवा का भविष्य बर्बाद हो जाता है.