आज है कामदा एकादशी व्रत। भगवान विष्णु की अराधना करने वालों के लिए इससे उत्तम कोई व्रत नहीं है। इस व्रत को बहुत ही फलदायी कहा गया है। इसी कारण इस एकादशी को फलदा एकादशी भी कहा जाता है। कहते हैं इस दिन इस व्रत में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से हजारों वर्षों की तपस्या जितना पुण्य मिलता है। इस बार कामदा एकादशी चार अप्रैल को है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है।
इस व्रत के प्रभाव से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन जो भी श्रद्धा के साथ व्रत रखता है उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती हैं। इस दिन व्रत रखें, इस व्रत में अपने मन को संयमित रखकर भगवान विष्णु की आराधना करें। भगवान श्री हरि विष्णु को फल, फूल, दूध, तिल, पंचामृत अर्पित करना चाहिए। एकादशी व्रत की कथा अवश्य सुननी चाहिए। रात में भगवान विष्णु की अराधना करें औऱ द्वादशी के दिन ब्राह्मण या किसी गरीब को भोजन कराना चाहिए। यह एकादशी मनोवांछित फल प्रदान करने वाली है। इस व्रत में विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें। इस व्रत में चावल और अन्य अनाज का उपयोग न करें।
कामदा एकादशी की कथा
कामदा एकादशी की कथा प्राचीन काल में भोगीपुर नामक नगर से शुरू होती है। वहां पुण्डरीक नामक राजा राज्य करते थे। इस नगर में अनेक अप्सरा, किन्नर तथा गंधर्व वास करते थे। उनमें से ललिता और ललित में अत्यंत स्नेह था। एक दिन गंधर्व ललित दरबार में गाना गा रहा था। उसे पत्नी ललिता की याद आ गई। इससे उसका स्वर, लय एवं ताल बिगड़ने लगे। इसे कर्कट नामक नाग ने जान लिया और यह बात राजा को बता दी। राजा ने क्रोध में आकर ललित को राक्षस होने का श्राप दे दिया।