तेलंगाना विधानसभा ने सोमवार को सीएए, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव को पास कर दिया। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने विधानसभा में कहा कि ऐसे लाखों लोग हैं जिनके पास वैध दस्तावेज नहीं हैं।

ऐसे में केंद्र को संशोधित नागरिकता कानून पर एकबार फिर से विचार करना चाहिए। ऐसा नहीं है कि तेलंगाना की विधानसभा में ही ऐसा प्रस्ताव पारित हुआ है। इससे पहले केरल, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश विधानसभाओं में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए जा चुके हैं।
बीते दिनों नागरिकता संशोधन एक्ट को वापस लेने की मांग वाले एक प्रस्ताव को पारित पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा था कि इस प्रस्ताव की कोई कानूनी या संवैधानिक वैधता नहीं है क्योंकि नागरिकता का मसला केंद्र का है।
उन्होंने यह भी साफ किया था कि असल में इस प्रस्ताव का कोई भी मतलब नहीं है। इससे पहले गृह मंत्रालय भी यह साफ कर चुका है कि कोई भी राज्य संशोधित नागरिकता कानून कानून को लागू करने से मना नहीं कर सकता है। जानकारों की भी मानें तो राज्यों को हर हाल में नागरिकता संशोधन कानून को लागू करना ही होगा।
बीते गुरुवार को संदस में इस मसले पर जबर्दस्त बहस देखने को मिली थी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में विपक्षी नेताओं पर सीएए और एनपीआर के मसले पर मुसलमानों को गुमराह करने का आरोप लगाया था।
उन्होंने कहा था कि यह भ्रम फैलाया गया कि सीएए से उनकी नागरिकता छिन जाएगी। शाह ने आगे कहा कि कपिल सिब्बल साहब सुप्रीम कोर्ट के बहुत बड़े वकील हैं।
आप ही सीएए में कोई एक ऐसा प्रावधान बता दीजिए जिससे मुस्लिमों की नागरिकता जाती हो। इसके बाद कपिल सिब्बल ने कहा था कि कोई नहीं कह रहा कि सीएए किसी की नागरिकता छीनेगा।
सिब्बल के इस जवाब पर शाह ने कहा था कि मैं कांग्रेस के कई नेताओं को कोट कर सकता हूं जिसमें उन्होंने कहा है कि सीएए मुसलमानों की नागरिकता छीन लेगा।
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