सरकार के स्वामित्व वाली दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) का घाटा बीते वर्ष 2019 में अप्रैल-दिसंबर की अवधि में 2.5 गुना बढ़कर 39,089 करोड़ रुपये हो गया।
संचार राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने संसद में बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र की इस दूरसंचार कंपनी को पिछले वित्तवर्ष 2018-19 में 14,904 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।
इसी दौरान धोत्रे ने राज्यसभा में गुरुवार को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि बीएसएनएल और एमटीएनएल का निजीकरण नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सरकार घाटे में चल रही कंपनियों के लिए एक पुनरुद्धार पैकेज पेश करेगी।
बता दें कि पिछले साल बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए एक पुनरुद्धार पैकेज की घोषणा की और यहां तक कि वीआरएस को भी उसी के हिस्से के रूप में पूरा किया गया है। पुनरुद्धार पैकेज के लिए सरकार बॉन्ड के जरिए करीब 15,000 करोड़ रुपये जुटाएगी।
इसके अलावा सरकार चार साल की अवधि में 38,000 करोड़ रुपये की संपत्ति के मुद्रीकरण की भी योजना बना रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उम्मीद है कि घाटे में चल रही कंपनियां स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस योजना) से लगभग 8,800 करोड़ रुपये बचाएंगी।
बीएसएनएल के लगभग 78,569 कर्मचारी और एमटीएनएल के 14,000 कर्मचारियों ने वीआरएस योजना का विकल्प चुना है। यह भी उम्मीद है कि काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या में कमी से कंपनियों पर वित्तीय बोझ कम होगा क्योंकि वेतन बिल में भारी कमी आएगी, जिसके परिणामस्वरूप वित्तीय सहायता प्राप्त होगी