मध्य प्रदेश के कमलनाथ सरकार पर फिर से संकट मंडराने लगा है. कांग्रेस के छह मंत्रियों समेत 17 विधायक बेंगलुरू पहुंच गए हैं. प्रद्युम्न तोमर और इमरती देवी दोनों कमलनाथ सरकार में मंत्री हैं.
कर्नाटक बीजेपी के स्थानीय विधायक मध्य प्रदेश कांग्रेस के विधायकों को एक रिसॉर्ट में ठहराने ले जा रहे हैं. बेंगलुरू के आउटस्कर्ट इलाके में किसी रिजॉर्ट में इन विधायकों को ठहराया जाएगा.
कहा जा रहा है कि ज्यादातर मंत्री कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के खेमे के हैं. कांग्रेस आलाकमान चाहता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का खेमा तीनों साथ मिलकर चले लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है. कांग्रेस के भीतर सबकुछ ठीक नहीं है.
उधर आज सूबे की सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद कमलनाथ ने कहा कि सोनिया गांधी के साथ सभी मुद्दों पर चर्चा हुई है. बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच करीब 20 मिनट तक चर्चा हुई.
बीते सप्ताह कांग्रेस को समर्थन दे रहे विधायक और पार्टी के विधायकों का गायब होने का सिलसिला 3 मार्च को शुरू हुआ. कांग्रेस के छह, बीएसपी के दो, समाजवादी पार्टी के एक और एक निर्दलीय विधायक अचानक दिल्ली चले गए, जो सीधे बीजेपी नेताओं के संपर्क में थे.
इसके बाद कांग्रेस सक्रिय हुई और 4 मार्च को छह विधायकों को वापस भोपाल लाया गया. इसके बाद 7 मार्च को एक निर्दलीय और 8 मार्च को कांग्रेस के भी एक और विधायक की घर वापसी हो गई.
यह सभी विधायक किसी ना किसी मंत्री के साथ भोपाल पहुंचते ही सीएम हाउस में हाजिरी लगा रहे हैं, जहां सीएम कमलनाथ इन्हें तमाम शिकायतें और परेशानियों को दूर करने का आश्वासन दे रहे हैं.
कांग्रेस विधायक बिसाहूलाल सिंह रविवार शाम बेंगलुरू से भोपाल पहुंच गये हैं और इसी के साथ गायब हुए 10 में से आठ विधायक अब तक भोपाल वापस आ गये हैं
मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं, जिनमें से फिलहाल दो खाली हैं. इस तरह मौजूदा समय में राज्य में कुल 228 विधायक हैं, जिनमें से 114 कांग्रेस, 107 बीजेपी, चार निर्दलीय, दो बहुजन समाज पार्टी और एक समाजवादी पार्टी के विधायक शामिल हैं. कांग्रेस सरकार को इन चारों निर्दलीय विधायकों के साथ-साथ बीसपी और समाजवादी पार्टी का समर्थन है.