गृह मंत्रालय ने लावारिस शवों, गुमशुदा बच्चों और अपराधियों की पहचान करने के लिए ऑटोमेटेड फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (एएफआरएस) को मंजूरी दी है। इसमें स्वचालित तरीके से ऐसे लोगों की पहचान हो सकेगी।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने राज्यसभा में बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा एएफआरएस को लागू करने के लिए यह मंजूरी दी गई है। एक लिखित उत्तर में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एएफआरएस पुलिस रिकॉर्ड के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। केवल कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए ही यह व्यवस्था उपलब्ध होगी। यह प्रणाली अपराधियों की पहचान आसान बनाएगी। गुमशुदा हुए और लावारिस मिले बच्चों एवं व्यक्तियों की भी पहचान संभव हो सकेगी।
पूर्वोत्तर में उग्रवाद की घटनाओं में 70 फीसद कमी
गृह राज्यमंत्री रेड्डी ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि पूर्वोत्तर में उग्रवादी घटनाओं में 2013 की तुलना में 2019 में 70 फीसद और नागरिकों की मौत में 80 फीसद की कमी आई है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में सुरक्षा स्थिति में 2014 से सुधार हुआ है और सुरक्षा बलों के जवानों के हताहत होने की संख्या में 78 फीसद कमी हुई है।
सशस्त्र बलों में करीब 950 महिला कर्मी
सशस्त्र बलों में कार्यरत महिला कर्मियों की संख्या 9,449 है। रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाईक ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि नौसेना में 685, वायुसेना में 1,872 और सेना में 6,,892 महिला कर्मी हैं। उन्होंने कहा कि इस साल सेना में 102 और नौसेना में 18 महिलाएं शामिल हुई हैं। इस वर्ष अभी तक वायुसेना में एक भी महिला शामिल नहीं हुई हैं।
आइबी, एलओसी पर 23 फरवरी तक 646 संघर्ष विराम उल्लंघन हुए
एक अन्य सवाल के जवाब में रक्षा राज्यमंत्री ने बताया कि भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा (आइबी) के साथ ही नियंत्रण रेखा पर एक जनवरी और 23 फरवरी के बीच संघर्ष विराम उल्लंघन की 646 घटनाएं हुई हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में पिछले साल पांच अगस्त से इस साल 23 फरवरी तक आतंकियों के साथ मुठभेड़ की 27 घटनाएं हुई हैं। मुठभेड़ में सात सुरक्षाकर्मी शहीद हुए।
नौसेना, वायुसेना एवं सेना में आत्महत्या की 95 घटनाएं
रक्षा राज्यमंत्री ने लोकसभा में बताया कि नौसेना, वायुसेना और सेना में 2019 में आत्महत्या की 95 घटनाएं हुई। उन्होंने कहा कि वायुसेना में 20 और सेना में 73 घटनाएं हुई। 2018 में तीनों बलों में आत्महत्या की क्रमश: आठ, 16 और 83 घटनाएं हुई थीं।