क्या आपने कभी ये सुना है कि पानी में पाए जाने वाले हॉर्स-शू केकड़े का खून मेडिकल साइंस के लिए किसी अमृत से कम नहीं है। शायद नहीं, लेकिन इस केकड़े का खून कोई मामूली खून नहीं होता। दरअसल, इसके खून का रंग लाल नहीं बल्कि नीले रंग का होता है। इसका नाम हॉर्स-शू केकड़ा इसलिए रखा गया है क्योंकि इसकी बनावट घोड़े के नाल जैसी होती है। वहीं इसका वैज्ञानिक नाम Limulus Polyphemus है। वहीं इस केकड़े का खून कोई हजारों में नहीं बल्कि, 10 लाख रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बिकता है।
हर साल 5 लाख केकड़ों का खून निकाला जाता है। वहीं सबसे हैरानी की बात ये है कि इस जीव को इसकी खूबी के लिए मार दिया जाता है। इसके खून में कॉपर बेस्ट हीमोसाइनिन नाम का पदार्थ होता है, जिसके चलते इसके खून का रंग नीला होता है। इस केकड़े के खून को मानव शरीर के अंदर इंजेक्ट कर खतरनाक बैक्टीरिया की पहचान की जाती है। डॉक्टर ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि ये नीले रंग का ब्लड मानव शरीर के अंदर खतरनाक बैक्टीरिया की बहुत सटीक पहचान करता है। जिसके चलते मानव शरीर में दवा के नकारात्मक प्रभावों का पता लगता है।