कोरोनावायरस का संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा। समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार चीनी सरकार ने बताया है कि कोरोनावायरस से मरने वालों की संख्या बढ़कर अब 1770 हो गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पिछले साल इस बीमारी के सामने आने और इसके लिए जिम्मेदार कोरोनावायरस के कारण इसे कोविड-19 नाम दिया है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने कहा कि इस वायरस से संक्रमित 2048 नए मामलों की पुष्टि होने के बाद देशभर में कुल संक्रमित लोगों की संख्या 70548 हो गई है। चीनी समाचार शिन्हुआ के अनुसार चीन में घातक कोरोना वायरस से हुबेई प्रांत में 105 और लोगों के मारे जाने के कारण इससे मरने वालों की संख्या सोमवार को 1770 हो गई है।
वुहान से लौटे 406 लोगों का सैंपल नेगेटिव मिला
चीन के वुहान से भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के यहां छावला में बने केंद्र में रखे गए 406 लोगों में कोरोना वायरस नहीं पाया गया है। इन लोगों के नवीनतम नमूने का रिजल्ट नेगेटिव आया है। अब इन लोगों को चरणबद्ध तरीके से बाहर निकाला जाएगा। यह काम आज सोमवार से शुरू होगा। ये नमूने शुक्रवार को जमा किए गए थे।
आईटीबीपी प्रवक्ता ने रविवार को यह जानकारी दी। वुहान से निकाले जाने के बाद इन लोगों को इस केंद्र और सेना के मानेसर केंद्र में ऐहतियात के तौर पर रखा गया था। उधर केरल में दूसरे मरीज को छुट्टी दे दी गई है और अब केवल एक मरीज का इलाज चल रहा है। पहले मरीज को कुछ दिनों पहले ही अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी।
केरल के कोरोना वायरस के तीन पुष्ट मामलों में से, कासरगोड के कंजांगड़ जिला अस्पताल में इलाज कर रहे दूसरे मरीज को छुट्टी दे दी गई है। इससे पहले एक मरीज को अस्पताल से स्वस्थ होकर घर जा चुका है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने कहा कि कोरोनोवायरस के बार-बार नकारात्मक परिणाम दिखाने वाले रोगी की घर पर निगरानी की जाएगी। अब देश में केवल एक ही कोरोना बीमारी से पीड़ित व्यक्ति है और इसका त्रिशूर मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है।
भारत जल्द ही चीन को भेजेगा दवाइयां
यहां नियुक्त भारतीय राजदूत विक्रम मिसरी ने रविवार को कहा कि भारत जल्द ही कोरोना वायरस से निपटने के लिए आवश्यक दवाईयों की खेप को चीन रवाना करेगा। उन्होंने इस बीमारी से लड़ने में चीन के साथ प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक ऐसा ठोस कदम है जो भारत की चीन के लोगों और वहां की सरकार के प्रति मित्रता और एकता को दिखाता है।
चीन में कोरोना वायरस के भीषण प्रकोप से भारत में कुछ बेहद जरूरी दवाओं की किल्लत हो सकती है। भारतीय उद्योग जगत के शीर्ष संगठन फिक्की ने कहा है कि चीन से कच्चे माल की आपूर्ति अगर दो महीने तक प्रभावित हुई तो भारत में कुछ बेहद जरूरी और आम तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं जैसे पैरासिटामोल, आइबूप्रोफेन, कुछ एंटीबायोटिक्स तथा डायबिटिज की दवाओं के उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। वायरस की वजह से स्मार्टफोन तथा सौर ऊर्जा उपकरणों का उत्पादन तथा आपूर्ति पर पहले से ही प्रभावित है।
फिक्की ने कहा है कि भारतीय दवा कंपनियां आमतौर पर कच्चे माल का दो महीने का स्टॉक अपने पास रखती हैं, इसलिए फिलहाल कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन अगर समस्या बनी रही तो उत्पादन पर असर पड़ सकता है। उद्योग संगठन ने कहा, अगर कोरोना के कारण चीन में बंद कामकाज फरवरी से आगे बढ़ता है तो भारत में बनी कुछ दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं। उद्योग के अनुमान के मुताबिक, भारत में दवाओं के उत्पादन के लिए 70 फीसदी कच्चा माल चीन से आता है।
डायमंड प्रिंसेस के सभी भारतीयों की सुरक्षित घर वापसी में करेंगे मदद: टोक्यो दूतावास
जापान में कार्यरत भारतीय दूतावास ने रविवार को कहा कि भारत योकोहामा के तट पर खड़े पर्यटक जहाज डायंमड प्रिसेंस पर सवार प्रत्येक भारतीय की सुरक्षित घर वापसी में सभी संभावित मदद करेगा। दूतावास ने कहा कि इसके लिए उनको पहले कोरोना वायरस का आखिरी टेस्ट करवाना होगा और अगर परिणाम नकारात्मक आना चाहिए।
इस जहाज पर सवार 3711 लोगों में से कुल 138 भारतीय हैं। रविवार तक इनमें से कोरोना से प्रभावित लोगों की संख्या 355 तक पहुंच गई। दूतावास ने बताया कि अंतिम जांच का काम आज से शुरू होगा और कुछ दिनों तक चलेगा। शनिवार को यह पता चला था कि कोरोना से प्रभावित तीन भारतीयों की हालत में सुधार आ रहा है।
नेपाल सरकार ने कोरोना वायरस प्रभावित चीन से रविवार को अपने 175 नागरिकों को निकाल लिया। इनमें 134 पुरुष एवं 41 महिलाएं हैं। ये लोग सुबह चार बजे यहां बने अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे। इनमें 170 छात्र हैं जो वुहान में पढ़ रहे थे। इन सभी लोगों को 14 से 17 दिन तक शेष लोगों से खरिपाटी सेंटर में ऐहितयातन अलग रखा जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता महेन्द्र प्रसाद श्रेष्ठ ने अमर उजाला से कहा कि नेपाल के इतिहास मे पहली बार लोगों को इस तरह अलग रखा गया है। श्रेष्ठ के अनुसार नेपाली नागरिकों को वापस लाने के लिए वैश्विक मानकों का पालन किया गया। इन लोगों का जांच के लिए नमूना भी लिया गया है और सुरक्षा के लिहाज से नेपाली सेना, सशस्त्र पुलिस को लगाया गया है।