पुरानी दिल्ली की तीनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. बल्लीमारान से दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हारून यूसुफ, चांदनी चौक से अलका लांबा और मटिया महल से मिर्जा जावेद अली अपनी जमानत नहीं बचा सके. इसमें सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नतीजा चांदनी चौक से अलका लांबा का है क्योंकि उन्होंने जीती हुई सीट छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था.
पिछली बार अलका लांबा आम आदमी पार्टी के टिकट पर 18287 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थीं लेकिन इस बार इतनी बुरी हार हुई कि वे ऊपरी पायदान पर भी नहीं चढ़ सकीं. इस बार आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार प्रहलाद सिंह साहनी ने बीजेपी प्रत्याशी सुमन कुमार गुप्ता को 29584 वोटों से हरा दिया और अलका लांबा की जमानत जब्त हो गई. वे लड़ाई में कहीं दूर-दूर तक नहीं दिखीं.
चांदनी चौक से कांग्रेस उम्मीदवार अलका लांबा को 3881 वोट मिले हैं. बीजेपी के सुमन कुमार गुप्ता को 21307 वोट हासिल हुए हैं. कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन यहां औसत से भी नीचे रहा है. कांग्रेस को यहां 5.03 प्रतिशत वोट मिले. अलका लांबा ने पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के टिकट पर चांदनी चौक से रिकॉर्ड जीत हासिल की थी. उन्होंने बीजेपी के सुमन कुमार गुप्ता को 16 हजार से अधिक से अधिक वोटों से शिकस्त दी थी, लेकिन इस बार अलका लांबा अपनी जमानत भी नहीं बचा सकीं.
दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेताओं में शुमार हारून यूसुफ बल्लीमारान सीट से महज 4.73 फीसदी वोट ही हासिल कर सके. जमानत बचाने के लिए उन्हें कम से कम छह फीसदी वोटों की जरूरत थी.
हारून यूसुफ दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं. वे बल्लीमारान से चार बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में लगातार खाद्य एवं आपूर्ति और उद्योग मंत्रालय संभालते आए थे. बल्लीमारान विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार इमरान हुसैन को 65,644 वोट मिले. यहां उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी की उम्मीदवार लता सोढ़ी रहीं. लता सोढ़ी बल्लीमारान सीट से 29,472 वोट हासिल करने में कामयाब रहीं. हारून यूसुफ को इस बार महज 4802 वोट मिले हैं.
जामा मस्जिद से सटे मटियाला महल इलाके में कांग्रेस की हालत और ज्यादा खराब रही. मुस्लिम बहुल इलाका होने के बावजूद जहां भारतीय जनता पार्टी यहां लगभग 20 प्रतिशत वोट हासिल करने में कामयाब रही वहीं कांग्रेस को महज 3.85 प्रतिशत वोट से संतोष करना पड़ा है.
कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के कारण यहां भी उसकी जमानत जब्त हो गई. कांग्रेस ने यहां अपने भरोसेमंद उम्मीदवार मिर्जा जावेद अली को मैदान में उतारा था. जावेद अली को सिर्फ 3409 मत हासिल हुए. कांग्रेस से आम आदमी पार्टी में आए शोएब इकबाल यहां 67,282 वोट मिले हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को मटियाला महल में 17,041 वोट मिले.
इन तीनों उम्मीदवारों की कौन कहे, चुनावी दंगल में कांग्रेस हारी और ऐसे बुरी तरह हारी कि खाता तक नहीं खुला. जिस पार्टी की कभी दिल्ली में तूती बोलती थी उस पार्टी का एक भी योद्धा चुनावी वैतरणी पार नहीं कर पाया.
हारने वालों में पार्टी के बड़े चेहरे अरविंदर सिंह लवली, परवेज हाशमी, मतीन अहमद, अलका लांबा, हारून युसुफ और कृष्णा तीरथ जैसे नाम हैं. ये तो बड़े चेहरे हैं, बाकी उम्मीदवारों की तो हालत और खराब रही. आलम ये है कि 66 सीटों पर लड़ी कांग्रेस के 63 उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सके.
चुनाव प्रचार के बिल्कुल आखिरी में राहुल और प्रियंका गांधी प्रचार के लिए उतरे. आखिरी दो दिनों में चार जगहों पर प्रचार किया. राहुल ने प्रचार की शुरुआत जंगपुरा से की तो दोनों ने संगम विहार में संयुक्त रैली की.
पर इन रैलियों का कोई असर नहीं दिखा. इस शर्मनाक हार पर कांग्रेस नेता के बयान भी दंग करने वाले हैं.पार्टी के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि दिल्ली में कांग्रेस पार्टी ने सत्ता पर कब्ज़ा करने का कभी नहीं सोचा था, तो दूसरी ओर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि पार्टी जानती थी हम हार रहे हैं. इन बायनों से ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को वॉकओवर दे दिया.