आईसीसी ने अब नो बॉल को लेकर क्रिकेट मैचों में नई तकनीक को लागू करने का फैसला किया है। ऑस्ट्रेलिया में होने वाली आगामी महिला टी-20 वर्ल्ड कप में इसका तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। भारत-वेस्टइंडीज के बीच मैच के दौरान सफलतापूर्वक इस तकनीक के इस्तेमाल के बाद आईसीसी ने इसे बड़े स्तर पर लागू करने का मन बना लिया है।

फ्रंट फुट तकनीक
इस नए नियम और तकनीक के तहत थर्ड अंपायर अब हर गेंद के बाद गेंदबाज के फ्रंट फूट को देखेगा और नो बॉल की सूरत में फिल्ड अंपायर को जानकारी देगा। इस नियम के बाद अब फिल्ड अंपायर बिना थर्ड अंपायर की सलाह के पैर के नो बॉल को लेकर कोई भी फैसला नहीं ले पाएगा। हालांकि वो अन्य तरह के नो बॉल मामले में पहले की ही तरह फैसले लेता रहेगा।
इस नए नियम और तकनीक के तहत थर्ड अंपायर अब हर गेंद के बाद गेंदबाज के फ्रंट फूट को देखेगा और नो बॉल की सूरत में फिल्ड अंपायर को जानकारी देगा। इस नियम के बाद अब फिल्ड अंपायर बिना थर्ड अंपायर की सलाह के पैर के नो बॉल को लेकर कोई भी फैसला नहीं ले पाएगा। हालांकि वो अन्य तरह के नो बॉल मामले में पहले की ही तरह फैसले लेता रहेगा।
विवादों में रहे नो बॉल के फैसले
नो बॉल को लेकर पिछले कुछ समय में काफी विवाद हुए हैं और इसकी वजह से कप्तान और खिलाड़ियों के साथ अंपायर की नोकझोंक भी देखने को मिली है। ऐसे में इस तकनीक के लागू होने के बाद फिल्ड अंपायर का काम आसान हो जाएगा।
नो बॉल को लेकर पिछले कुछ समय में काफी विवाद हुए हैं और इसकी वजह से कप्तान और खिलाड़ियों के साथ अंपायर की नोकझोंक भी देखने को मिली है। ऐसे में इस तकनीक के लागू होने के बाद फिल्ड अंपायर का काम आसान हो जाएगा।
सफल रहा नो बॉल तकनीक का ट्रायल
आईसीसी ने भी बताया है कि इस तकनीक का इस्तेमाल 12 मैचों के दौरान किया गया जिसमें 4717 गेंदें फेंकी गई और 13 नो बॉल को पाया गया। इसमें सभी फैसले सटीक और सही साबित हुए।
आईसीसी ने भी बताया है कि इस तकनीक का इस्तेमाल 12 मैचों के दौरान किया गया जिसमें 4717 गेंदें फेंकी गई और 13 नो बॉल को पाया गया। इसमें सभी फैसले सटीक और सही साबित हुए।
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