महाशिवरात्रि पर्व पर जानिए इन शिव मंदिरों में क्यों दिया जाता है धरना

महाशिवरात्रि का पर्व इस साल शुक्रवार, 21 फरवरी को है। आज हम आपको एक ऐसी परंपरा के बारें में बताते हैं जो काफी प्रचलित है। झारखंड में प्रचलित एक ऐसी परंपरा जहां मनोकामना पूर्ति के लिए लोग धरना देते हैं। झारखंड में भगवान शिव के दो मंदिरों में ये परंपरा कहीं वर्षों से चली आ रही हैं। आज हम आपको इन दोनों मंदिरों के बारें में जानकारी देते हैं।

दुमका,’बाबा बैद्यनाथ’झारखंड के दुमका में स्थित ये मंदिर काफी मशहूर है और लोग यहां दूर-दूर से भगवान शिव के दर्शनों के लिए आते हैं। यहां पर एक मान्यता प्रचलित है कि अगर आप मंदिर के सामने धरना देते हैं तो भगवान शिव आपकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। इसी मान्यता के चलते इस मंदिर में आपको भक्त धरने पर बैठे हुए मिल जाएंगे। मंदिर में धरना दे चुके कई भक्तों का कहना है कि धरना देने से उनकी मनोकामनाएं पूरी हुई। यहीं नहीं धरना देने से और कई गंभीर बीमारियां तक ठीक हो जाती हैं। भगवान शिव का यह मंदिर ‘बाबा बैद्यनाथ’ के नाम से प्रसिद्ध है। आज भी यहां कई कई सालों से धरने पर बैठे हुए हैं।

कोडरमा, दोहमुहानी धामदो नदियों के किनारे पर स्थित झारखंड के कोडरमा जिले में स्थित यह मंदिर काफी प्रसिद्द है। इस मंदिर में लोग दूर दूर से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान शिव के इस मंदिर में धरना देते हैं और शिव की पूजा करते हैं। भगवान शिव के इस मंदिर को दोहमुहानी धाम के नाम से जाना जाता है। सावन के महीने में इस मंदिर पर हर साल एक बड़ा मेला भी लगता है। मान्यता है कि निःसंतान दंपत्ति भी अगर सच्चे मन से अपनी मनोकामना लेकर यहां कुछ दिन धरना देते हैं तो भोले बाबा उनकी मुराद जरूर पूरी करते हैं।

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