चीन में फैले कोरोना वायरस ने सूबे के फार्मा उद्योग को अपनी चपेट में ले लिया है। वायरस के प्रकोप के बाद से चीन से दवाओं के कच्चे माल की सप्लाई बंद हो गई है।
अब देश की 45 फीसदी दवाओं का निर्माण करने वाले फार्मा हब बीबीएन (बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़) में 20 फीसदी कच्चे माल का स्टॉक खत्म हो गया है। दवा निर्माता आशंका जता रहे हैं कि अगर एक सप्ताह बाद भी चीन से कच्चा माल नहीं आया तो उत्पादन पर संकट आ सकता है। कई उद्योगों में उत्पादन ठप पड़ जाएगा।
चीन के हालात में सुधार नहीं हुआ तो मजबूरन उद्योगों को यूरोप से कच्चा माल मंगवाना पड़ेगा। यूरोप से आना वाला कच्चा माल मंहगा होता है, जिससे यहां निर्मित होने वाली दवाओं के दामों में भी बढ़ोतरी होगी। सीआईआई हिमाचल चैप्टर के चेयरमैन हरीश अग्रवाल ने कहा कि फार्मा उद्योगों पर असर पड़ना शुरू हो गया है।
चीन से आपूर्ति न होने से फार्मा उद्योगों को संकट से जूझना पड़ेगा। यूरोप से कच्चा माल आयात किया तो दवाओं के दामों में भी वृद्धि होगी। 20 फीसदी स्टॉक कम हो गया है जो प्रतिदिन बढ़ता ही जाएगा। हिमाचल दवा निर्माता संघ के अध्यक्ष डा. राजेश गुप्ता ने केंद्र के समक्ष बल्क ड्रग एपीआई की आपूर्ति के ज्वलंत मुद्दे को उठाया है।