2013 में मुंबई के आजाद मैदान में यशस्वी जायसवाल पर ऐसे शख्स की नजर पड़ी, जो उनकी तरह क्रिकेट खेलने मुंबई आया था. उस शख्स ने भी मुंबई में बहुत धक्के खाए थे, तंगी को करीब से देखा था. शायद यही वजह होगी कि उसे यशस्वी की परख सबसे अच्छे थी. ये शख्स कोई और नहीं यशस्वी के कोच ज्वाला सिंह हैं.
ज्वाला सिंह, क्रिकेट की दुनिया से जुड़ा एक ऐसा नाम जो आईसीसी अंडर-19 वर्ल्ड कप के बीच फिर चर्चाओं में है. जी हां, ये वही ज्वाला सिंह हैं, जिन्होंने टीम इंडिया के लिए दो ऐसे धुरंधर तैयार किए हैं, जिनका प्रदर्शन अब तक चौंकाने वाला रहा है. ये धुरंधर हैं ‘गोलगप्पा ब्वॉय’ यशस्वी जायसवाल और पृथ्वी शॉ.
ज्वाला सिंह अभी साउथ अफ्रीका में हैं, जहां अंडर-19 वर्ल्ड कप खेला जा रहा है. aajtak.in से खास बातचीत में ज्वाला सिंह ने यशस्वी जायसवाल और पृथ्वी शॉ के साथ अपनी कहानी भी शेयर की. यूपी के गोरखपुर से ताल्लुक रखने वाले ज्वाला सिंह 1995 में मुंबई आए थे. ज्वाला ने क्रिकेट के लिए जिद करके घर छोड़ा था तो उन्हें घर से भी उतना सपोर्ट नहीं मिला. ऐसे में मायानगरी में अपनी जमीन उन्हें खुद तैयार करनी थी.
जिद करके मुंबई आए, टेंट में काटीं रातें…
बाएं हाथ के तेज गेंदबाज रहे ज्वाला ने भी अपने संघर्ष के दौर में टेंट में रातें काटी थीं. टेंट में महीनों काटने के बाद एक स्थानीय विधायक ने रहने का तो प्रबंध कर दिया, लेकिन आगे करियर की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी लड़ाई उन्हें खुद लड़नी थी. खैर इस लड़ाई से ज्वाला पीछे नहीं हटे, तभी उन्हें विजय मर्चेंट ट्रॉफी खेलने का मौका मिल गया. कूच विहार और सीके नायडू ट्रॉफी के बाद उनकी लाइफ में इंजरी ने दस्तक दे दी. नेशलन क्रिकेट एकेडमी से लौटने के बाद इंजरी ऐसी हुई कि क्रिकेट पर ही लगभग ब्रेक लग गया. ज्वाला ने बताया कि प्रॉपर गाइडेंस भी उस वक्त नहीं मिली कि चीजें कुछ ठीक हो पातीं.