जम्मू-कश्मीर पुलिस तीन आतंकवादियों के साथ कश्मीर में पकड़े गए डीएसपी दविंदर सिंह से पूछताछ कर रही है. इस बीत खबर मिली है कि जम्मू कश्मीर पुलिस ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर दविंदर सिंह को बर्खास्त करने की मांग की थी. जम्मू-कश्मीर पुलिस की इस सिफारिश को मंजूर कर लिया गया है.
जम्मू कश्मीर के पुलिस अधिकारी दविंदर सिंह के आवास पर मंगलवार को चौथे दिन भी तलाशी अभियान जारी रहा. हिज्बुल मुजाहिद्दीन के दो आतंकवादियों को ले जाने के लिए सिंह को गिरफ्तार किया गया था. अधिकारियों ने बताया कि सिंह के इंदिरानगर स्थित आवास और उसी इलाके में अधिकारी के एक निर्माणाधीन मकान की भी तलाशी ली गई. एक अधिकारी ने बताया, ‘तलाशी अभियान के दौरान कुछ दस्तावेज बरामद किये गये है.
अधिकारियों ने बताया कि सिंह एक रिश्तेदार के घर रह रहा था जहां उसने दोनों आतंकवादियों को कथित तौर पर रातभर रखा था. पुलिस ने सिंह को शनिवार को कुलगाम के मीर बाजार क्षेत्र से हिज्बुल मुजाहिद्दीन के आतंकवादियों नावीद बाबा और अल्ताफ के साथ पकड़ा था. आतंकवादी संगठन के सक्रिय सदस्य के रूप में काम करने वाले एक वकील को भी गिरफ्तार किया गया था. पुलिस अधिकारी से विभिन्न सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के जवान पूछताछ कर रहे है. सिंह श्रीनगर हवाई अड्डे पर अपहरण रोधी दस्ते में पुलिस उपाधीक्षक के पद पर तैनात थे.
अधिकारियों ने बताया कि उपाधीक्षक ने दोनों को चंडीगढ़ में कुछ महीने तक आवास मुहैया कराने के लिए कथित तौर पर 12 लाख रुपये लिए थे. अधिकारियों ने कहा कि उसके बयानों में काफी अनियमितताएं हैं और हर चीज की जांच की जा रही है और पकड़े गए आतंकवादियों के बयान से उसका मिलान किया जा रहा है. उनको दक्षिण कश्मीर के पूछताछ केंद्र में अलग-अलग कमरों में रखा गया है. अधिकारियों ने बताया कि पूछताछ के दौरान पता चला कि सिंह उन्हें 2019 में जम्मू लेकर गया था. उन्होंने कहा कि नावीद ने पूछताछ करने वालों को बताया कि वे पहाड़ी इलाकों में रहते थे ताकि जम्मू-कश्मीर पुलिस से बच सकें और कड़ाके की ठंड से बचने के लिए वहां से हट जाते थे.
पहले भी हुई थी जांच
अधिकारी ने कहा कि डीएसपी के बैंक खाते एवं अन्य संपत्तियों का आकलन पुलिस कर रही है और कागजात जुटाए जा रहे हैं. इस तरह के कयास हैं कि मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंपा जा सकता है. सिंह के सेवा इतिहास के बारे में जम्मू-कश्मीर पुलिस के कई सेवारत एवं सेवानिवृत्त अधिकारियों ने कहा कि अगर प्रोबेशन काल में ही अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की गई होती तो ऐसी बात नहीं होती. 1990 में उपनिरीक्षक के तौर पर भर्ती हुए सिंह एवं एक अन्य प्रोबेशनरी अधिकारी पर अंदरूनी जांच हुई थी जिसमें एक ट्रक से मादक पदार्थ जब्त किए गए थे. अधिकारियों ने बताया कि प्रतिबंधित पदार्थ को सिंह और एक अन्य उपनिरीक्षक ने बेच दिया था. उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का कदम उठाया गया था लेकिर महानिरीक्षक स्तर के एक अधिकारी ने मानवीय आधार पर उसे रोक दिया था और दोनों को विशेष अभियान समूह में भेज दिया गया था.