बच्चों में ब्रेन टीबी का संक्रमण तेजी से बढ़ा है। ऐसे बच्चों की संख्या बढऩे पर शासन ने सर्वे शुरू कराया है, जिसमें ब्रेन टीबी की वजह से मेनेजाइटिस, इंसेफेलाइटिस और हाइड्रोसिफेलस (दिमाग में पानी भरना) से पीडि़त बच्चों केस हिस्ट्री लेकर आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। अभी तक मिले तथ्य चौंकाने वाले हैं। मासूम बच्चों को घर की चहारदीवारी, पड़ोसी और मोहल्ले से मिली है, कुपोषण भी कारण मिला है।
केस-1 : सकेरा स्टेट के सलीम के तीन वर्षीय पुत्र नसीर को लंबे समय से बुखार था। अचानक झटके आने पर हैलट अस्पताल में दिखाने पर डॉक्टरों ने दिमागी बुखार बताते हुए जांच कराई। पता चला, टीबी के संक्रमण से दिमाग में पानी भर गया। पानी निकलवाने पर आंखों की रोशनी पर असर पड़ा है।
केस-2 : गोविंद नगर कच्ची बस्ती के श्याम कुशवाहा की तीन वर्षीय पुत्री नैना को बुखार के साथ बेहोशी आती थी। स्वजन मिर्गी समझ कर इलाज कराते रहे। हालत बिगडऩे पर हैलट में दिखाया, जहां जांच में ब्रेन टीबी की पुष्टि हुई।
केस-3 : गिलिस बाजार की महिला को मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट (एमडीआर) टीबी थी। तीन वर्षीय पुत्र आदित्य चपेट में आ गया। दिमाग में पानी भरने पर ऑपरेशन कर ब्रेन में शंट डालकर पानी निकाला। लंबे समय आइसीयू में भर्ती रहा। अब ठीक है।
10 फीसदी को घर से टीबी
बच्चों के इलाज के जुटाए गए तथ्य के अनुसार एक टीबी मरीज रोज 10 मरीजों को संक्रमित करता है। हैलट के बाल रोग, न्यूरो सर्जरी और न्यूरोलॉजी विभाग में 10 दिनों में 22 बच्चे आए हैं। इनमें से 16 को माता-पिता या अन्य स्वजनों से संक्रमण मिला है। एक बच्चे की बलगम जांच में एमडीआर की पुष्टि हुई। उसकी मां की जांच कराई तो उनमें भी एमडीआर टीबी मिली।
फेफड़े से दिमाग में पहुंच रही टीबी
बच्चे के फेफड़े में टीबी का बैक्टीरिया पहुंचता है। छह माह में लक्षण दिखने लगते हैं। जब झटके आते हैं तक पता चलता है कि संक्रमण दिमाग तक पहुंच चुका है।
ये बरतें सावधानी
- घर में किसी को टीबी होने पर पूरा इलाज कराएं।
- एमडीआर टीबी के मरीजों से बच्चों को दूर रखें।
- अगर मां को टीबी है तो मॉस्क लगाकर बच्चे को गोद लें।
- घर हवादार होना चाहिए, सूर्य की किरणें आसानी से आ सकें।
- घर में सीलन नहीं होनी चाहिए।
शहर के यह इलाके संवेदनशील
राजापुरवा, गंगागंज, गोविंद नगर कच्ची बस्ती, दादा नगर मलिन बस्ती, विजय नगर मलिन बस्ती, शास्त्री नगर मलिन बस्ती, झकरकटी बस अड्डे के निकट बस्ती, सकेरा इस्टेट, बाबपुरवा, लक्ष्मण बाग, रायपुरवा, चमनगंज के घन मोहल्ले। जिला क्षय रोग अधिकारी कहते हैं कि बच्चों में ब्रेन टीबी के केस बढ़ रहे हैं। उन्हें वयस्कों से संक्रमण मिल रहा है। इसमें शहरी क्षेत्रों की मलिन बस्तियों के बच्चे, जिन्हें लंबे समय से बुखार व झटके आ रहे हैं, भी हैं। इनका साल भर तक आंकड़ा जुटाकर कारण जानने और सटीक इलाज के उपाए किए जाएंगे।